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लीबिया में प्रवासियों पर बल प्रयोग के अभियानों में बढ़ोत्तरी पर चिन्ता

संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने कहा है कि लीबिया में प्रवासी और पनाह मांगने वाले लोगों को सुरक्षा अभियानों के तहत बहुत सख़्ती का सामना करना पड़ रहा है और इस तरह के अभियानों में कम से कम एक व्यक्ति की मौत हो गई है. साथ ही, हिरासत में लिये गए लोगों की संख्या में बहुत बढ़ोत्तरी हुई है. यूएन शरणार्थी एजेंसी ने मंगलवार को सचेत करते हुए कहा है कि उत्तरी अफ़्रीकी देश लीबिया में स्थान बदलने के लिये मजबूर निर्बल हालात वाले लोगों को हर रोज़, सरकारी और अ-सरकारी तत्वों द्वारा, अपने साथ उत्पीड़न व मानवाधिकार हनन का सामना करना पड़ रहा है. 🇱🇾 #Libya: We are extremely worried about the continued suffering of migrants and asylum seekers in Libya who are experiencing a myriad of daily violations and abuses at the hands of both State and non-state actors. Learn more: https://t.co/0o3WMUojph#StandUp4Migrants pic.twitter.com/Gvjp3c1zHE — UN Human Rights (@UNHumanRights) October 12, 2021 हनन के इन मामलों में प्रवासियों व शरण चाहने वाले लोगों को, ज़रूरी प्रक्रिया पूरी किये बिना ही, सब सहारा अफ़्रीका क्षेत्र के देशों को जबरन भेज दिया जाना भी शामिल है, जबकि ऐसा करना, अन्तरराष्ट्रीय सिद्धान्तों व नियमों के विरुद्ध है. यूएन शरणार्थी एजेंसी की प्रवक्ता मार्टा हर्टाडो ने बताया, “एक तरफ़ तो सरकार ये कहती रही है की ये छापेमारी व अभियान, केवल अपराधों पर क़ाबू पाने के लिये चलाए जा रहे हैं. इस मामले में हम ये कह रहे हैं कि अगर आप अपराधों पर क़ाबू पाने की कोशिश कर रहे हैं तो तस्करों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाए, ऐसे प्रवासियों को क्यों पकड़ा जा रहा है जो अक्सर तस्करों के हाथों पीड़ित होते हैं.” प्रमुख घटनाएँ प्रवक्ता मार्टा हर्टाडो ने चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि अक्टूबर महीने के आरम्भ से ही अनेक ऐसी घटनाएँ हुई हैं जिनमें प्रवासियों व शरण चाहने वाले लोगों को जानबूझकर निशाना बनाया गया है. इन घटनाओं में, एक अक्टूबर को, राजधानी त्रिपोली से लगभग 12 किलोमीटर पश्चिम में स्थित अनौपचारिक बस्ती – गेरगराश में, आन्तरिक सुरक्षा मंत्रालय के कर्मचारियों का छापा भी शामिल है. महिलाओं, बच्चों और कुछ ऐसे पुरुषों को भी गिरफ़्तार करके उन्हें हथकड़ियाँ लगाई गई हैं जो यूएन शरणार्थी एजेंसी के साथ पंजीकृत बताए गए हैं. प्रवक्ता ने कहा कि सुरक्षा बलों ने उन लोगों को हिरासत में लेने के लिये अनावश्यक और ज़रूरत से ज़्याद बल प्रयोग किया है, जिसमें गोलीबारी और उन लोगों को पीटा जाना भी शामिल है जिन्होंने या तो विरोध किया या फिर वहाँ से निकल भागने की कोशिश की. मार्टा हर्टाडो ने बताया कि कम से कम एक व्यक्ति की मौत हो गई है और पाँच अन्य घायल हो गए, चार हज़ार से ज़्यादा को हिरासत में लिया गया है. जबकि अधिकारियों ने ये स्वीकार किया है ये अभियान कुछ अलग तरीक़े से चलाया जा सकता था. यूएन शरणार्थी एजेंसी के अनुसार, गिरफ़्तार किये गए लोगों को राजधानी त्रिपोली में, सरकार द्वारा संचालित अल-मबानी हिरासत केन्द्र में ले जाया गया है और वहाँ उन्हें अत्यधिक भीड़ भरे कमरों में रखा गया है जहाँ उन्हें भोजन व पानी भी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पा रहा है. छह अक्टूबर को, ग़ेरियाँ केन्द्र से लगभग 500 प्रवासी निकलकर भागने में सफल हो गए, जिनका पीछा करने में सुरक्षा गार्डों ने गोलियाँ चलाईं व जानलेवा बारूद का इस्तेमाल किया. आरम्भिक सूचना के अनुसार, गोली लगने से, कम से कम चार लोगों की मौत हुई और अनेक अन्य घायल हुए. उसके दो दिन बाद, 8 अक्टूबर को, अल-मबानी हिरासत केन्द्र से, बड़ी संख्या में लोग भाग निकले, सुरक्षा गार्डों ने उनका भी पीछा किया और उन पर गोलियाँ चलाईं. इस गोलीबारी में अनेक लोगों के हतातत होने की ख़बरें हैं और अभी वास्तविक संख्या की पुष्टि नहीं हो सकी है. यूएन शरणार्थी एजेंसी की प्रवक्ता मार्टा हर्टाडो के अनुसार, “केवल आठ दिनों के भीतर इस तरह की भयावह घटनाओं से साफ़ नज़र आता है कि लीबिया में प्रवासियों और शरण चाहने वाले लोगों को, कितनी ख़तरनाक, अक्सर जानलेवा स्थिति का सामना करना पड़ रहा है.” उन्होंने कहा, “उन लोगों को केवल उनकी प्रवासन स्थिति के कारण अपराधी समझा जा रहा है, अक्सर उन्हें बेहद ख़राब हालात में बन्दी बनाकर रखा जा रहा है, उनके साथ बार-बार दुर्व्यवहार और उनका उत्पीड़न किया जा रहा है, और कुछ मामलों में तो प्रवासियों की मौत भी हो गई है.” सरकार से अपील लीबिया पर एक स्वतंत्र जाँच मिशन ने हाल ही में एक रिपोर्ट में कहा था कि अधिकार हनन व प्रताड़ना के इस तरह के बड़े पैमाने पर हो रहे व्यवस्थागत मामले, मानवता के ख़िलाफ़ अपराध की श्रेणी में रखे जा सकते हैं. यूएन मानवाधिकार कार्यालय ने लीबिया में अधिकारियों से, इन तमाम दावों की, त्वरित, व्यापक, निष्पक्ष और स्वतंत्र जाँच कराने की पुकार लगाई है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने लीबिया सरकार से, उन प्रवासियों और शरण चाहने वाले लोगों को तुरन्त रिहा करने को कहा है जिन्हें मनमाने तरीक़े से बन्दी बनाया गया है. साथ ही, प्रवासियों व शरण चाहने वाले लोगों की बस्तियों पर छापेमारी, उन्हें वहाँ से बेदख़ल करने और उनके साथ अपराधियों जैसा बर्ताव रोकने को भी कहा गया है. यूएन शरणार्थी एजेंसी की प्रवक्ता ने कहा कि लीबिया सरकार को, बिछड़े हुए परिवारों की तुरन्त मदद करनी चाहिये और प्रवासियों व शरण चाहने वाले लोगों को उपयुक्त व सुरक्षित परिस्थितियों में रखने के प्रबन्ध करने चाहिये. प्रवक्ता के अनुसार, साथ ही, यूएन एजेंसियों व ग़ैर-सरकारी संगठनों को, बन्दी गृहों तक पहुँचने की इजाज़त मिलनी चाहिये. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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