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भयानक वायु प्रदूषण को लेकर चिंतित लाहौर के नागरिक

लाहौर, 18 नवंबर (आईएएनएस)। आबादी के लिहाज से पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत की राजधानी लाहौर में हवा की गुणवत्ता सबसे खराब है और यह दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक बन गया है, जिससे यहां के निवासियों का दम घुट रहा है। स्विस प्रौद्योगिकी कंपनी आईक्यूएयर द्वारा लाहौर को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया गया है, जो एयरविजुअल निगरानी प्लेटफॉर्म संचालित करता है। दर्ज की गई 348 वायु गुणवत्ता रैंकिंग के साथ, जो कि 300 के खतरनाक स्तर से ऊपर है, निवासी तीखे स्मॉग में घुट रहे हैं, इसलिए अब अधिकारियों से इसका कोई ठोस समाधान खोजने का आह्वान किया जा रहा है। दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करने वाले मोहम्मद सईद ने कहा, बच्चे सांस की बीमारियों का सामना कर रहे हैं। इसका समाधान खोजने की जरूरत है। स्थानीय निवासियों के बीच चिंता इसलिए बढ़ गई है, क्योंकि लाहौर ने वायु प्रदूषण के मामले में दुनिया के सबसे खराब शहरों में अपना नाम दर्ज होते देखा है। शहर निम्न-श्रेणी के डीजल उपकरणों से निकलने वाले धुएं, मौसमी फसलों की कटाई के बाद पराली जलाने जैसे कारणों की वजह से अधिक प्रदूषण का सामना कर रहा है और यह स्थिति सर्दियों में और अधिक बढ़ जाती है। पाकिस्तान का पंजाब प्रांत भारत से सटा हुआ है और दोनों ही देश वायु प्रदूषण तालिका में शीर्ष पर बने हुए हैं। कम से कम 1.1 करोड़ लोगों के इस शहर के निवासियों, जिनमें से कई गरीबी रेखा के नीचे हैं, का कहना है कि वायु प्रदूषण के कारण चल रही सांस की समस्या गरीब परिवारों के लिए बड़ी परेशानी पैदा कर रही है, क्योंकि वे डॉक्टर की फीस का भुगतान नहीं कर सकते हैं। सईद ने कहा, हम गरीब लोग हैं, डॉक्टर का खर्चा भी नहीं उठा सकते। हम उनसे (सरकार) केवल प्रदूषण को नियंत्रित करने की गुहार लगा रहे हैं। मैं एक साक्षर व्यक्ति नहीं हूं, लेकिन मैंने सुना है कि लाहौर में हवा की गुणवत्ता सबसे खराब है और फिर भारत की दिल्ली का नंबर आता है। अगर यह इसी तरह जारी रहता है तो फिर हम तो मर ही जाएंगे। उन्होंने कहा, पहले मैं अपने बच्चों के साथ टहलने जाता था। लेकिन अब, मैं उन्हें अपने साथ लेकर नहीं जाता। जबकि प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान सरकार खुद को जलवायु परिवर्तन के लिए अग्रिम पंक्ति के प्रचारकों में से एक के रूप में देखती है, वहीं देश के नागरिक बार-बार सरकारी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दायर कर रहे हैं और हवा को साफ करने के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। निवासियों का कहना है कि इस दिशा में अधिकारियों की कार्रवाई और प्रक्रिया बहुत धीमी रही है या फिर उन्होंने इसके लिए भारत पर दोष मढ़ने का विकल्प चुना है। इसके अलावा वे प्रदूषण के आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया बता रहे हैं। --आईएएनएस एकेके/एएनएम

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