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कार्बन उत्सर्जन में गंभीरता से कमी ला रहा है चीन

बीजिंग, 17 जुलाई (आईएएनएस)। जलवायु परिवर्तन व कार्बन उत्सर्जन प्रमुख वैश्विक चुनौती के रूप में उभरे हैं। ऐसे में चीन सहित विभिन्न देशों द्वारा सार्थक उपाय भी किए जा रहे हैं, ताकि समस्या से निपटा जाय। यह भी कहना होगा कि प्रमुख विकासशील देश होने के नाते चीन व भारत कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिए काम कर रहे हैं। दोनों देशों के नेताओं ने कई मौकों पर इन चुनौतियों से निपटने के लिए मिलकर प्रयास करने की वकालत की है। हालांकि विकसित राष्ट्र इस मामले में उतनी सक्रियता नहीं दिखा रहे हैं, जितनी कि उन्हें दिखानी चाहिए। कहने को अमेरिका विश्व का सबसे शक्तिशाली देश है, लेकिन पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के कार्यकाल में उसने पेरिस समझौते से अपने कदम पीछे खींच लिए थे। लेकिन हाल के महीनों में अमेरिका ने इस बात सकारात्मक रुख दिखाया है। जबकि विश्व की सबसे अधिक आबादी वाले देश चीन ने इन वैश्विक समस्याओं को हल करने के लिए गंभीरता दिखायी है। इसी कोशिश में गत् शुक्रवार को चीन द्वारा राष्ट्रीय कार्बन बाजार का उद्घाटन किया गया है। यह एक ऐसी कोशिश है जिससे चीन की धरती पर कार्बन उत्सर्जन के स्तर में व्यापक रूप से कमी आएगी, साथ ही जलवायु परिवर्तन जैसी प्रमुख चुनौती के मुकाबले में भी अहम भूमिका दिखेगी। चीन ने इस संबंध में जो आंकड़े जारी किए हैं, उसके मुताबिक देश में बिजली उत्पादन क्षेत्र में दो हजार से अधिक कंपनियां शामिल हुई हैं, जो एक साल की अवधि में 4.5 बिलियन टन से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड को कवर कर रही हैं। पारिस्थितिकी और पर्यावरण मंत्रालय का दावा है कि यह यूरोपीय संघ के कार्बन व्यापार कार्यक्रम को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे बड़ा सिस्टम बन गया है। चीन की ओर से कार्बन के स्तर में कटौती लाने का प्रयास भविष्य में भी जारी रहेगा। इसके तहत स्टील, रसायन और पेपरमेकिंग आदि सात अन्य प्रमुख कार्बन उत्सर्जक उद्योगों को इस दायरे में शामिल किया जाएगा। गौरतलब है कि चीन लगातार हरित व कम कार्बन उत्पादन पर जोर देता रहा है। चीन ने साल 2030 तक प्रति यूनिट जीडीपी में कार्बन डाइआक्साइड का उत्सर्जन 2005 के मुकाबले 65 प्रतिशत से अधिक घटाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। साथ ही गैर जीवाष्मीय ऊर्जा का अनुपात 25 फीसदी पहुंचाए जाने को लेकर भी चीन प्रतिबद्ध दिखता है। (अनिल पांडेय, पेइचिंग) --आईएएनएस एएनएम

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