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अफ़ग़ानिस्तान: सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव पारित, महिलाओं की ‘अर्थपूर्ण भागीदारी’ का आग्रह

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने शुक्रवार को सर्वमत से एक प्रस्ताव पारित करते हुए, अफ़ग़ानिस्तान में यूएन मिशन के आदेशपत्र (mandate) की अवधि को छह महीने के लिये बढ़ा दिया है. इस प्रस्ताव में सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की समान व अर्थपूर्ण भागीदारी की अहमियत पर विशेष बल दिया गया है. शुक्रवार को पारित किये गए प्रस्ताव में अफ़ग़ानिस्तान में एक समावेशी और प्रतिनिधिक सरकार को स्थापित किये जाने के महत्व को रेखांकित किया गया है. ग़ौरतलब है कि 15 अगस्त को अफ़ग़ानिस्तान में सत्ता पर तालेबान का नियंत्रण स्थापित हो गया था. प्रस्ताव के मुताबिक़ मानवाधिकारों को बरक़रार रखना बेहद अहम है, विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों व अल्पसंख्यकों के लिये. यूएन मिशन के मैण्डेट को छह महीने के लिये बढ़ाते हुए, सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों ने यूएन महासचिव से 31 जनवरी 2022 तक एक रिपोर्ट तैयार करने का आग्रह किया है. इस रिपोर्ट का उद्देश्य अफ़ग़ानिस्तान में यूएन मिशन के मैण्डेट के लिये रणनैतिक व संचालन-सम्बन्धी सिफ़ारिशों की रूपरेखा पेश करना होगा. अफ़ग़ानिस्तान में मौजूदा राजनैतिक, सुरक्षा और सामाजिक घटनाक्रम के तहत इसे अहम माना गया है. प्रस्ताव में मानवीय सहायता प्रदान करने के लिये मज़बूत प्रयासों की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है और इसके लिये सभी पक्षों द्वारा मानवीय सहायता रास्तों को खुला व सुरक्षित रखा जाना ज़रूरी बताया गया है. बताया गया है कि अफ़ग़ानिस्तान में लोग अनेक संकटों में घिरे हैं और देश की आधी आबादी को मानवीय सहायता की तत्काल ज़रूरत है. हाल ही में आयोजित किये गए एक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन में, नागरिक आबादी के लिये एक अरब डॉलर की धनराशि का इन्तज़ाम किये जाने का संकल्प लिया गया है. © WFP/Arete यूएन एजेंसियाँ, अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में, ज़रूरतमन्द लोगों को भोजन व कम्बल वग़ैरा मुहैया करा रही हैं. आतंकवाद से जुड़ी चिन्ताएँ 15 सदस्य देशों वाली सुरक्षा परिषद ने आगाह किया है कि यह सुनिश्चित करना होगा कि अफ़ग़ानिस्तान की भूमि का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिये ना किया जाए. प्रस्ताव में कहा गया है कि अफ़ग़ानिस्तान के क्षेत्र का इस्तेमाल, किसी देश पर हमले करने या उसे धमकी देने, आतंकी कृत्यों के लिये वित्तीय मदद प्रदान करने, या फिर आतंकवादियों को शरण व ट्रेनिंग देने में नहीं किया जाना चाहिए. सुरक्षा परिषद ने कहा है कि किसी भी अफ़ग़ान समूह या व्यक्ति को देश के किसी इलाक़े में सक्रिय आतंकवादियों को समर्थन देने से बचना होगा. प्रस्ताव के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र अफ़ग़ानिस्तान में शान्ति व स्थिरता के लिये प्रयास जारी रखेगा और यूएन मिशन के साथ-साथ देश में अन्य यूएन एजेंसियों, कोषों और कार्यक्रमों की मौजूदगी बनी रहेगी. देश का भविष्य सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव का मसौदा तैयार करने की अगुवाई करने वाले सदस्य देशों – नॉर्वे और एस्टोनिया - ने एक साझा बयान जारी कर कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में हालात अनिश्चित हैं. © UNICEF Afghanistan संयुक्त राष्ट्र के अनुसार अफ़ग़ानिस्तान में एक करोड़ 80 लाख लोगों को मानवीय सहायता की ज़रूरत है. 'पैनहोल्डर्स' कहे जाने वाले इन देशों के राजदूतों ने कहा कि आज का प्रस्ताव दर्शाता है कि अफ़ग़ानिस्तान में लोगों को समर्थन प्रदान करने के इरादे से, देश में यूएन की मौजूदगी जारी रखने के लिये सुरक्षा परिषद में एकमत है. उन्होंने कहा कि दोनों देश अफ़ग़ानिस्तान में महिला शान्ति-निर्माताओं और मानवाधिकार रक्षकों की आवाज़ों को सहारा व मज़बूती प्रदान करना जारी रखेंगे. “अफ़ग़ान महिलाएं समाज का हिस्सा हैं, और अफ़ग़ानिस्तान में टिकाऊ शान्ति व स्थिरता के निर्माण में उन्हें एक बेहद अहम भूमिका निभानी होगी.” नॉर्वे और एस्टोनिया ने सहायता के लिये आयोजित सम्मेलन के दौरान लिये गए संकल्पों की सराहना की है. मगर ध्यान भी दिलाया है कि मानवीय राहत सुनिश्चित करने के उद्देश्य से, मानवीय राहतकर्मियों के लिये देश भर में सुरक्षित व निर्बाध आवाजाही को सम्भव बनाना होगा. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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