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अफ़ग़ानिस्तान: खाद्य सामग्री ख़त्म होने के निकट, सहायता अपील

संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियों ने मंगलवार को कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में खाद्य सहायता सामग्री ख़त्म होने के निकट है, साथ ही, देश में बुनियादी सेवाएँ ढहने के कगार पर पहुँच गई हैं. एजेंसियों ने संकट ग्रस्त देश अफ़ग़ानिस्तान में, वर्ष 2021 के आख़िर तक, लगभग एक करोड़ 10 लाख लोगों की मदद करने के लिये, लगभग 60 करोड़ डॉलर की रक़म इकट्ठा किये जाने की त्वरित अपील जारी की है. संयुक्त राष्ट्र के खाद्य व कृषि संगठन (FAO) ने आगाह करते हुए कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में तेज़ी से बदलते हालात ने बड़े पैमाने पर बाधाएँ खड़ी कर दी हैं और गेहूँ की फ़सल के लिये जोखिम पैदा कर दिया है, जिसकी बुआई का मौसम शुरू होने वाला है. #Afghanistan: Humanitarians seek $606 million to provide prioritised multi-sectoral assistance to 11 million people in the remaining months of 2021. — UN Humanitarian (@UNOCHA) September 7, 2021 ये चेतावनी ऐसे समय में जारी की गई है जब अफ़ग़ानिस्तान की मदद के लिये, एक प्रमुख दान अपील सम्मेलन, 13 सितम्बर को जिनीवा में होने वाला है. खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के आपदाओं व सहनक्षमता मामलों के निदेशक रीन पॉलसेन ने, इस्लामाबाद से बात करते हुए कहा, “हर तीन में से एक अफ़ग़ान व्यक्ति के पास खाने-पीने के लिये समुचित सामान उपलब्ध नहीं है, ये एक ऐसी स्थिति है जो किसी भी कल्पना या सोच के अनुसार बहुत नाटकीय व डरावनी है.” संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता मामलों की एजेंसी – OCHA के प्रवक्ता जेन्स लाएर्के ने देश में हताशा भरी स्थिति की ओर ध्यान खींचते हुए चेतावनी भरे शब्दों में कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में बुनियादी सेवाएँ ढहने के कगार पर पहुँच गई हैं और खाद्य व अन्य जीवन रक्षक सहायता सामग्री भी ख़त्म होने के निकट है. समय बहुत कम है रीन पॉलसेन ने कहा कि इस वर्ष गेहूँ की खेती में, लगभग 25 प्रतिशत घाटा होने की सम्भावना है. अफ़ग़ानिस्तान की आबादी को, पोषण ज़रूरतों का लगभग आधा हिस्सा, गेहूँ से ही मिलता है, और देश में गेहूँ की पैदावार का ज़्यादातर हिस्सा, सर्दियों के मौसम में होने वाली बारिश पर निर्भर होता है. यूएन खाद्य एजेंसी के विशेषज्ञ ने कहा, “हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि गेहूँ की फ़सल की बुआई समय पर हो जाए. इस स्थिति को सम्भालने के लिये, बहुत कम समय है. बीज इन्तज़ार नहीं कर सकते. किसान बिल्कुल भी समय नहीं गँवा सकते.” “हमें ये सुनिश्चित करने के लिये हर सम्भव प्रयास करने होंगे कि कमज़ोर हालात वाले लोगों तक सटीक सहायता समय पर पहुँचती रहे. ग्रामीण आजीविकाओं के लिये ख़तरे रीन पॉलसेन ने खाद्य असुरक्षा के साथ-साथ ध्यान दिलाया कि देश की लगभग 70 प्रतिशत आबादी ग्रामीण इलाक़ों में बसती है, और देश की लगभग 80 प्रतिशत आबादी के लिये, भरण-पोषण का स्रोत खेतीबाड़ी ही है. उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाक़ों में आजीविकाओं के लिये जोखिम, दरअसल खाद्य और कृषि संगठन के लिये, हाल के महीनों में चिन्ता का कारण रहा है. ठोस सहायता के अभाव में किसान और चरवाहों की आजीविकाएँ ख़त्म हो सकती हैं और अगर ऐसा हुआ तो, उन्हें अपने ग्रामीण इलाक़े छोड़कर कहीं और जाना पड़ेगा. ऐसे हालात में शहरी और क़स्बाई इलाक़ों में सहायता सामग्री की उपलब्धता पर बोझ और दबाव बढ़ेगा क्योंकि ऐसे लोग आन्तरिक रूप में विस्थापित बन जाएंगे. संयुक्त राष्ट्र की खाद्य और कृषि एजेंसी (FAO) ने अगस्त तक, देश के 34 में से 26 प्रान्तों में आजीविकाएँ मुहैया कराकर और नक़दी के ज़रिये, लगभग 15 लाख लोगों को मदद मुहैया कराई है. संगठन ने, केवल अगस्त महीने में, तालेबान के हाथों में देश का नियंत्रण आने के उथल-पुथल भरे हालात में भी, एक लाख से भी ज़्यादा लोगों तक पहुँच बनाई. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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