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अफ़ग़ानिस्तान: कन्दाहार की शिया मस्जिद पर जानलेवा आत्मघाती हमले की निन्दा

संयुक्त राष्ट्र ने अफ़ग़ानिस्तान के कन्दाहार प्रान्त की सबसे बड़ी शिया मस्जिद में शुक्रवार की नमाज़ के दौरान हुए एक घातक आत्मघाती बम हमले की निन्दा की है. इस हमले में कम से कम 30 लोगों की मौत हुई है और अनेक अन्य हताहत हुए हैं. यह लगातार दूसरा सप्ताह है जब अफ़ग़ानिस्तान में किसी शिया मस्जिद को इस तरह के जानलेवा हमले का निशाना बनाया गया है. शुक्रवार, 8 अक्टूबर को भी, देश के पूर्वोतर क्षेत्र में स्थित कुन्दूज़ में हुए एक हमले में 100 से ज़्यादा लोग हताहत हुए थे. Terrorism continues in #Afghanistan with at least 30 killed, scores injured, in suicide attack at #Kandahar’s largest Shia mosque at time of Friday prayers. UN condemns latest atrocity targeting a religious institution & worshippers. Those responsible need to be held to account. pic.twitter.com/MMI66F50Gr — UNAMA News (@UNAMAnews) October 15, 2021 अफ़गानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र मिशन (UNAMA) ने ट्विटर पर अपने एक सन्देश में, इस हमले पर क्षोभ व्यक्त करते हुए लिखा है कि अफ़ग़ानिस्तान में आतंकवाद बदस्तूर जारी है. “संयुक्त राष्ट्र, एक धार्मिक संस्थान और श्रृद्धालुओं को निशाना बना कर की गई इस नवीनतम क्रूरता की निन्दा करता है. इसके लिये ज़िम्मेदारों की जवाबदेही तय किये जाने की ज़रूरत है.” संयुक्त राष्ट्र महासभा प्रमुख अब्दुल्ला शाहिद ने भी इस हमले की कठोर शब्दों में निन्दा की है. उन्होंने इस घटना के पीड़ितों के परिजनों के प्रति अपनी गहरी सम्वेदना व्यक्त की है और घायलों के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की कामना की है. अफ़ग़ानिस्तान में ये हमले, एक गहराते और बहुआयामी संकट की पृष्ठभूमि में हो रहे हैं. बढ़ती मानवीय ज़रूरतें संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने आगाह किया कि आने वाले महीनों में, देश में बच्चों और महिलाओं की मानवीय ज़रूरतें बढ़ने की सम्भावना है, जिसके मद्देनज़र अन्तरराष्ट्रीय समर्थन की आवश्यकता होगी. यूनीसेफ़ के उप कार्यकारी निदेशक उमर आब्दी ने कहा कि गम्भीर सूखे, जल की क़िल्लत, अनिश्चित सुरक्षा हालात, विस्थापन और कोविड-19 के दौरान सामाजिक-आर्थिक बदहाली के बीच, देश में संकट की स्थानीय बच्चों को एक बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ रही है. यूएन एजेंसी उप प्रमुख ने शुक्रवार को न्यूयॉर्क जानकारी देते हुए बताय कि पिछले सप्ताह अफ़ग़ानिस्तान की यात्रा के दौरान, उन्होंने देखा कि अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य प्रणाली ढह रही है. चिकित्सा सामग्री की आपूर्ति बेहद कम है, और ख़सरा, दस्त व कुपोषण के मामले उभार पर हैं. बालिका शिक्षा को प्राथमिकता की अपील यूनीसेफ़ के वरिष्ठ अधिकारी ने तालेबान से लड़कियों की शिक्षा को अपने एजेण्डे में प्राथमिकता देने का आग्रह किया है. ग़ौरतलब है कि अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर तालेबान का वर्चस्व स्थापित होने के बाद से, माध्यमिक स्कूलों की लाखों अफ़ग़ान छात्राएँ वापिस कक्षाओं में नहीं लौट पाई हैं. यूनीसेफ़ के अनुसार तालेबान ने सभी लड़कियों को स्कूल में पढ़ाई की अनुमति देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी, मगर फ़िलहाल छठी कक्षा तक ही लड़कियाँ स्कूल जा पा रही हैं. अफ़ग़ानिस्तान के 30 से अधिक प्रान्तों में से महज़ पाँच में ही, लड़कियाँ माध्यमिक शिक्षा स्कूलों में जा पा रही हैं. बताया गया है कि तालेबान इस मुद्दे पर एक फ्रेमवर्क तैयार कर रहा है, जिसे अगले दो महीनों में पेश किये जाने की सम्भावना है. इस फ़्रेमवर्क में लड़कियों की शिक्षा के सम्बन्ध में, समाज के रुढ़िवादी तत्वों की चिन्ताओं को दूर किये जाने का प्रयास किया जाएगा, जैसे कि लड़कियों को कक्षाओं में लड़कों से अलग रखना, या लड़कियों की पढ़ाई, केवल महिला शिक्षकों से ही कराना. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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