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आपबीती: जोखिमों के बावजूद बीमारों के उपचार के लिये अफ़ग़ान स्वास्थ्यकर्मी ने जताई प्रतिबद्धता

अफ़ग़ानिस्तान के एक डॉक्टर ने यूएन न्यूज़ से बातचीत में, हिंसा के कारण अपना घर छोड़कर भागने के लिये मजबूर अफ़ग़ानों की सहायता के लिये बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएँ जारी रखने की प्रतिबद्धता ज़ाहिर की है. साथ ही, उन्होंने आगाह किया है कि मौजूदा सुरक्षा परिस्थितियों के कारण उनका व उनके साथियो विशेष रूप से महिला सहकर्मियों का भविष्य अनिश्चित है. संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने, तालिबान के देश पर नियंत्रण के बावजूद, देश में अपनी उपस्थिति बनाए रखने का संकल्प लिया है. उन्होंने स्थानीय समुदायों को समर्थन देने की आवश्यकता पर बल दिया है और ध्यान दिलाया है कि मौजूदा घटनाक्रम से पहले भी देश में ज़रूरतमन्दों की बड़ी संख्या थी. अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में डॉक्टर ख़ली अहमदी* ने एक विशेष बातचीत में यूएन न्यूज़ को बताया कि सुरक्षा की कमी व अस्थिरता के बावजूद भी उन्होंने, व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों ने अपना कामकाज जारी रखा है. डॉक्टर अहमद ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से अफ़ग़ानिस्तान के लिये समर्थन की पुकार लगाई है. “तालिबान के आगे बढ़ने के बाद, लगभग आठ-दस हज़ार लोग हाल के हफ़्तों में 10 प्रान्तों से काबुल पहुँचे हैं. मैं उस डॉक्टर व नर्स की एक टीम का हिस्सा हूँ, जो नए आगुन्तकों को स्वास्थ्य देखभाल प्रदान कर रही है. ये लोग अपना घर छोड़कर आए हैं, और उनके पास अब कुछ नहीं है. ना घर, ना रोज़गार और बहुत कम धन. आमतौर पर उन्हें काबुल में रहने का डर है, और अपना घर छोड़ने के लिये मजबूर होने पर वे क्रोधित भी हैं. हम उन्हें शहर में, विस्थापितों के लिये बनाए गए शिविर में, विविध प्रकार की सेवाएँ मुहैया करा रहे हैं. यहाँ पहुँचने वाले लोग अनेक प्रकार की बीमारियों के साथ आ रहे हैं, और उन्हें हैज़ा व न्यूमोनिया जैसी शिकायतें भी हैं. © WFP/Arete/Andrew Quilty ये मई 2021 की तस्वीर है जब निर्बल समुदायों की मदद के लिये विश्व खाद्य कार्यक्रम के ट्रक रवाना हो रहे थे. हम जितने व्यक्तियों का इलाज कर रह हैं उनमें लगभग तीन-चौथाई संख्या महिलाओं व बच्चों की है. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) इस कार्य में समर्थन प्रदान कर रहा है, और हम प्रभावितों के लिये उपचार, दवा, व भोजन की व्यवस्था कर पाने में समर्थ हैं. साथ ही कुछ हद तक कोविड-19 की भी जाँच की जा रही है. आज [सोमवार, 23 अगस्त] को, मैं चिकित्सकों की एक छह सदस्यीय टीम का हिस्सा हूँ, जिसमें तीन महिलाएँ हैं. ये टीम महिलाओं के लिये विशिष्ट सेवाएँ मुहैया करा रही है और इसने कईं नवजात शिशुओं के जन्म में मदद की है. हमारी टीम में पाँच नर्सें हैं. हमारा कामकाजी दिन बहुत लम्बा और मुश्किल भरा है. मैं सुबह 7 बजे काम शुरू करता हूँ और कभी-कभी मध्य रात्रि तक काम कर सकता हूँ. इसका अर्थ यह है कि हम एक दिन में 500 लोगों तक का उपचार कर सकता हूँ. कभी-कभी, मैं सुरक्षा कारणों से घर पर ही रहता हूँ. अगर गोलीबारी, अन्य प्रकार के व्यवधानों या सड़क पर अवरोधों की ख़बरें होती हैं, तो टीम के सदस्य निर्णय लेते हैं कि यह कार्य के नज़रिये से बेहद ख़तरनाक है. सड़कों पर तनाव बहुत अधिक हो सकता है. अक्सर, सिर्फ़ पुरुष ही काम करते हैं. मेरी महिला सहकर्मी, अपने भविष्य के लिये, निश्चित रूप से बेहद चिन्तित हैं, जैसा कि हम सभी हैं. © UNICEF एक 12 वर्षीय लड़का पश्चिमी अफ़ग़ानिस्तान के उरुज़गान प्रान्त में केले बेच रहा है. उन्हें ज़रा भी अन्दाज़ा नहीं है कि भविष्य में क्या छिपा है. क्या उन्हें काम करने की अनुमति मिल पाएगी, जैसा कि उन्हें अभी मिली हुई है. हम नहीं जानते हैं कि क्या महिलाओं के लिये हालात ख़राब होंगे, यूँ ही बने रहेंगे, या फिर बेहतर होंगे. काबुल में तालेबान के दाख़िल होने के बाद से हमने किसी अर्थपूर्ण ढँग से उनसे सम्पर्क नहीं किया है. हालांकि वे एक बार शिविर आए थे, जहाँ हमारे काम करने के दौरान उन्होंने हमारी गतिविधियों के बारे में पूछा था. इस समय, विस्थापितों और शहर में अन्य लोगों के लिये सुरक्षा एक प्रमुख चुनौती है. मगर हमें दवाओं व भोजन की कमी के बारे में भी चिन्ता है, चूँकि काबुल में दुकानें और बाज़ार अब भी बन्द हैं. मैं एक डॉक्टर हूँ, इसलिये मेरी ज़िम्मेदारी लोगों की मदद करना और उन्हें मरहम लगाना है. इस समय, इस ख़राब परिस्थिति में, मैं अफ़ग़ान लोगों को समर्थन देने के संकल्प का गहराई तक अनुभव करता हूँ. मगर, मैं तभी मदद कर सकता हूँ जब मुझे सुरक्षित महसूस हो. मेरा बाक़ी दुनिया से सन्देश है: कृपया अफ़ग़ानिस्तान की मदद कीजिये. ये एक निर्धन देश है, लेकिन लोगों के दिल अच्छे हैं, और मैं सभी अफ़ग़ान लोगों और उनकी रक्षा के लिये अपना सर्वोत्तम प्रयास जारी रखूँगा." यूएन विकास कार्यक्रम की स्वास्थ्य सेवाओं और अफ़ग़ानिस्तान में विस्थापितों की मदद के सम्बन्ध में यहाँ क्लिक कीजिये. *पहचान छिपाने के लिये बदला हुआ नाम. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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