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कतर में एक दशक के दौरान 6,500 प्रवासी मजदूरों की मौत हुई

दोहा, 26 फरवरी (हि.स.)। कतर साल 2022 में फीफा विश्वकप की मेजबानी करेगा। इस वजह से यहां भारत समेत पड़ोसी देशों के मजदूरों की तादाद बढ़ी है। एक दशक के दौरान दक्षिण एशिया के पांच देशों के करीब 6,500 प्रवासी मजदूरों की मौत हुई है। गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार साल 2011 से साल 2020 तक हर हफ्ते लगभग 12 मजदूरों की मौत हो रही है। ये मजदूर भारत, पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश के बताए गए हैं। मरने वालों का आंकड़ा इससे भी अधिक हो सकता है, क्योंकि इस विश्लेषण में कतर, केन्या और फिलिपींस में मरनेवाले प्रवासियों को शामिल नहीं किया गया है। सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे क्षेत्र के अन्य देशों की तरह, कतर प्रवासी श्रमिकों पर अत्यधिक निर्भर है, जिनमें से अधिकांश एशिया और अफ्रीका के कुछ हिस्सों से स्वेच्छा से आते हैं। साल 2017 में कतर की जनसंख्या 2.6 मिलियन थी। इनमें से 313,000 कतर के नागरिक हैं जबकि 2.3 मिलियन प्रवासी मजदूर हैं। कतर अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ लगातार वर्षों से मानवाधिकारों के दुरुपयोग और श्रम कानूनों के उल्लंघन के आरोपों से घिरा रहा है। अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट के अनुसार इन प्रवासी श्रमिकों को कई अनैतिक स्थितियों का सामना करना पड़ता है। इनके साथ मारपीट होती है। इनका यौन शोषण किया जाता है और वेतन पर रोक भी लगा दी जाती है। कतर ने विश्वकप की तैयारी के लिए एक विशाल निर्माण कार्यक्रम की शुरुआत की है। इसमें सात स्टेडियमों का निर्माण, एक नया हवाई अड्डा और इसके सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क में व्यापक परिवर्धन शामिल हैं। सिर्फ स्टेडियम के निर्माण कार्य के दौरान 37 लोगों की मौत हो चुकी है। हिन्दुस्थान समाचार/सुप्रभा सक्सेना

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