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'स्मार्ट' व टिकाऊ समुद्री परिवहन, वैश्विक पुनर्बहाली के लिये अहम

वर्ष 2020 में, कोविड-19 महामारी का समुद्री व्यापार पर, आशंका से कम गम्भीर असर साबित हुआ है, मगर, दीर्घकाल में उसके गहरे व दूरगामी प्रभाव होने की सम्भावना जताई गई है. व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) की बुधवार को प्रकाशित एक नई रिपोर्ट में, बुद्धिमान, सुदृढ़, और टिकाऊ समुद्री परिवहन को, वैश्विक सामाजिक-आर्थिक पुनर्बहाली के लिये अहम क़रार दिया गया है. ‘Review of Maritime Transport 2021’ शीर्षक वाली यह रिपोर्ट दर्शाती है कि वर्ष 2020 में समुद्री व्यापार में 3.8 प्रतिशत का संकुचन हुआ, जोकि शुरुआती व्यवधान को परिलक्षित करता है. लेकिन, समय गुज़रने के साथ, वर्ष के बाद के हिस्से में इसमें सुधार दर्ज किया गया और 2021 में इसमें 4.3 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होने की सम्भावना है. .@UNCTAD's Review of Maritime Transport 2021 projects seaborne trade to grow by 4.3% this year. But it warns the medium-term outlook is subject to mounting #COVID19 risks and uncertainties and that high freight rates threaten the global recovery. https://t.co/GmLBxbU1XR pic.twitter.com/k7mKpR1d6h — UNCTAD (@UNCTAD) November 18, 2021 अंकटाड की महासचिव रेबेका ग्रीनस्पैन ने कहा, “एक स्थाई पुनर्बहाली, महामारी के रुख़ पर निर्भर करेगी, और मोटे तौर पर चुनौतियों को कम करने व विश्वव्यापी टीकाकरण आगे बढ़ाने पर निर्भर है.” “कोविड-19 संकट के असर से लघु द्वीपीय विकासशील देश (SIDS) और सबसे कम विकसित देश (LDC) सर्वाधिक प्रभावित होंगे.” रिपोर्ट के अनुसार, मध्यम-अवधि के लिये समुद्री व्यापार के लिये पूर्वानुमान सकारात्मक है, मगर अनिश्चितताओं व जोखिमों के मद्देनज़र स्थिति में बदलाव हो सकता है. यूएन एजेंसी का कहना है कि हालात में सुधार होने के बावजूद, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर भीषण दबाव है, मालढुलाई की दरों में नाटकीय वृद्धि हुई है, और उपभक्ताओं व आयातकों के लिये क़ीमतें बढ़ी हैं. इसके अतिरिक्त, व्यापार तनावों और ज़्यादा सहनक्षमता की तलाश की कोशिशों के कारण, व्यापार रुझानों में सम्भावित बदलाव नज़र आ रहे हैं. वैश्विक महामारी ने समुद्री परिवहन उद्योग में पहले से मौजूद चुनौतियों को उजागर व गहरा किया है – जैसे कि श्रमिकों की क़िल्लत और बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता. रिपोर्ट बताती है कि आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) में आई मुश्किलों के कारण आर्थिक पुनर्बहाली पर असर हुआ है. व्यापार ने फिर गति पकड़ी है मगर, महामारी से उपजी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इनमें उपकरणों व कण्टेनर की क़िल्लत, भरोसेमन्द सेवाओं की कमी, बन्दरगाहों पर भीड़, और लम्बी देरी हैं. समुद्री परिवहन: मुख्य रुझान कण्टेनर जहाज़ परिवहन की लागत में बढ़ोत्तरी, सभी व्यापारियों व सप्लाई चेन प्रबन्धकों के लिये एक चुनौती रही है, विशेष रूप से छोटी कम्पनियों के लिये जिनके लिये अतिरिक्त ख़र्चों को वहन कर पाना कठिन है. रिपोर्ट के मुताबिक़, अगर कण्टेनर मालढुलाई दरों में वृद्धि जारी रहती है, तो इससे आयात व उपभोक्ता क़ीमतों, दोनों पर असर होगा. यूएन एजेंसी का मानना है कि वैश्विक महामारी ने ऐसे रुझानों की गति तेज़ की है, जिनसे दीर्घकाल में समुद्री परिवहन में रुपान्तरकारी बदलाव नज़र आ सकते हैं. उदाहरणस्वरूप, डिजिटलीकरण व स्वचालन में तेज़ी आई है, जिससे दक्षता बढ़ाने व लागत कम करने में मदद मिलेगी. जहाज़रानी उद्योग ने जलवायु अनुकूलन व सहनक्षमता की अहमियत को पहचाना है और इस क्रम में कार्बन पर निर्भरता कम करने व उत्सर्जनों में कटौती करने के लिये वैकल्पिक ईंधनों की तलाश की जानी होगी. ई-कॉमर्स ने ख़रीदारी के सम्बन्ध में उपभोक्ताओं के व्यवहार और ख़र्चों के रुझान में परिवर्तन किया है. इससे, डिजिटल रूप से सक्षम वितरण व भण्डारण केन्द्रों की मांग बढ़ी है, जिससे जहाज़रानी व बन्दरगाहों के लिये नए व्यावसायिक अवसर पैदा हो सकते हैं. यूएन एजेंसी के अनुसार, वैश्विक सामाजिक-आर्थिक पुनर्बहाली, बुद्धिमान, सुदृढ़, और टिकाऊ समुद्री परिवहन के साथ-साथ, व्यापक वैश्विक टीकाकरण प्रयास पर निर्भर करेगी . अंकटाड ने उद्योग जगत, देशों की सरकारों और अन्तरराष्ट्रीय संगठनों से समुद्री नाविकों को अहम कामगारों के रूप में चिन्हित किये जाने और उनके टीकाकरण को प्राथमिकता दिये जाने की पुकार लगाई है. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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