फादर्स डे पर विशेष : भैंस बेचकर बेटे को कराई बीएड आज है इंटर कॉलेज का प्रधानाचार्य
फादर्स डे पर विशेष : भैंस बेचकर बेटे को कराई बीएड आज है इंटर कॉलेज का प्रधानाचार्य

फादर्स डे पर विशेष : भैंस बेचकर बेटे को कराई बीएड आज है इंटर कॉलेज का प्रधानाचार्य

कासगंज, 21 जून (हि.स.)। देहाती अंदाज़ और गरीबी में अपने परिवार का पालन पोषण करना बड़ी बात है। कभी-कभी परिवार में हालात ऐसे हो जाते हैं। जब कुछ बिगाड़ कर कुछ बनाना पड़ता है। ऐसी ही कहानी है कासगंज क्षेत्र के ग्राम नमैनी के निवासी हुकुम सिंह की। उन्होंने अपने बेटे को उच्च शिक्षा ग्रहण कराने के लिए अपनी भैंस बेच दी। बेटे की किस्मत का सितारा ऐसा चमका आज उनका बेटा इंटर कॉलेज में प्रधानाचार्य के पद पर तैनात है। गरीबी में अपना जीवन व्यतीत करने वाले हुकुम सिह पर उनके बेटे को गर्व है। कासगंज तहसील क्षेत्र के ग्राम नैनी निवासी हुकुम सिंह काफी छोटे किसान थे। उन्होंने कभी अपने जमाने में गरीबी के अलावा अमीरी का मुख नहीं देखा, लेकिन अपने हौसले और हिम्मत को बरकरार रखते हुए दो बेटों एवं दो बेटियों का पालन पोषण किया। इसमें उनका बड़ा बे ने किसनई में अपनी स्वेच्छा जताई और किसानी करने लगा। जबकि दूसरे बेटे मोहन लाल सागर मे पढ़ाई का जज्बा उत्पन्न हो गया। उसकी ललक को देखते हुए पिता ने शिक्षा ग्रहण कराने के लिए अपना सब कुछ दाव पर लगा दिया। मोहनलाल की प्राथमिक शिक्षा गांव से प्रारंभ हुई। हाई स्कूल एवं इंटर उन्होंने महेंद्र इंटर कॉलेज गढ़ी चकेरी से किया। इसके बाद स्नातक एवं परस्नातक तक शिक्षा ग्रहण करने के लिए वह कासगंज के कोठीवाला रतिया महाविद्यालय मैं दाखिल हो गए। कड़ी मेहनत एवं पूरे हौसले के साथ पढ़ाई का सिलसिला जारी रहा। इधर अंग्रेजी से एमए करने के बाद मोहनलाल को अपने भविष्य की चिंता होने लगी। उन्हें बीएड करने की ललक प्राप्त हुई, लेकिन परिवार में गरीबी का आलम होने के कारण पिता हुकुम सिंह से कुछ भी कह नहीं पाए। जबकि पिता ने किसी तरह अपने बेटे की मन की बात भाॅप ली। उन्होंने घर में पल रही भैंस को बेचकर बीएड की पढ़ाई के लिए सारा सारी धनराशि बेटे को सौंप दी। इसके बाद बेटे ने बीएड भी पास कर लिया। तत्पश्चात प्रारंभिक दौर में नौकरी की तलाश की, लेकिन नौकरी नहीं मिली फलस्वरूप मोहन लाल सागर प्राइवेट विद्यालयों में टीचिंग करने लगे। वर्ष 1996 में नवोदय विद्यालय में उनकी नियुक्ति हुई। यहां मां बाप से दूर रहना उनको गवारा नहीं हुआ। फल स्वरूप 2003 में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में उनका चयन हो गया। इसके बाद उनकी नियुक्ति पड़ोसी जनपद एटा के मिरहची थाना क्षेत्र के ग्राम जिनहरा स्थित राष्ट्रीय इंटर कॉलेज में अंग्रेजी प्रवक्ता के रूप में हो गई। इसके बाद समय की रफ्तार बढ़ती चली गई। पिता हुकुम सिंह की मेहनत रंग लाई आज मोहनलाल सागर राष्ट्रीय इंटर कॉलेज में प्रधानाचार्य के पद पर तैनात हैं। पिता हुकुम सिंह का कहना है कि यह उस समय मैं भैंस ना बेचता तो मेरे घर परिवार का भविष्य नहीं बन पाता। आज मेरा बेटा प्रधानाचार्य के पद पर तैनात है और शिक्षा का प्रसार प्रचार कर रहा है। यह उनके लिए गर्व की बात है। मोहनलाल सागर का अपने पिता के विषय में कहना है कि पिता ने अपने दायित्व का निर्माण किया भावनाओं को समझा और सब कुछ दाव पर लगा कर पढ़ाया लिखाया आज पिता के चरणो में ही उनका स्वर्ग है। हिन्दुस्थान समाचार/पुष्पेंद्र/मोहित-hindusthansamachar.in

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