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पत्रकारिता को राष्ट्रीय और लोकधर्मी संस्कार देने वाले संपादक थे माधवराव सप्रे
गुलाम भारत में अनेक प्रखर स्वाधीनचेता नागरिक भी रहते थे, जिनमें एक थे पं. माधवराव सप्रे। भारतबोध उनके चिंतन और चिति का हिस्सा था। वे अपनी पत्रकारिता, साहित्य लेखन, संपादन, अनुवाद कर्म और भाषणकला से एक ही चेतना भारतीय जन में भरना चाहते हैं वह है भारतबोध। सप्रे जी का क्लिक »-www.prabhasakshi.com