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धमतरी : धार्मिक आस्था का केंद्र है रुद्रेश्वर धाम

धमतरी ,25 फरवरी ( हि. स.)। मांघी पुन्नी का मेला आगामी 27 फरवरी को आयोजित होना है। इस अवसर पर रुद्री मड़ई में शहर के अलावा आस-पास के गांव से काफी संख्या में लोग भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। यहां पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। इसे लेकर मंदिर की तैयारी पखवाड़े भर पहले से ही शुरू हो जाती है। धमतरी जिला मुख्यालय से नौ किमी व रायपुर से 87 किमी दूर रुद्री में स्थित रुद्रेश्वर महादेव का मंदिर छत्तीसगढ़ के प्रमुख शिवालयों में शामिल है। महानदी के तट पर स्थित इस मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है। माघी पूर्णिमा, सावन मास सहित अन्य खास तिथियों में यहां सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचकर पूजा-अर्चना करते हैं। यहां के स्वयंभू शिवलिंग की महिमा ही है कि यहां मांगी गई मुराद पूरी हो जाती है। महानदी के तट पर स्थित इस मंदिर की कीर्ति धमतरी जिले के अलावा अन्य प्रदेशों तक है। माघी पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित मेला-मड़ई में रुद्री के अलावा आसपास के गांव सोरम, भटगांव, कोलियारी, करेठा, खरेंगा, नवागांव, कंडेल, दर्री, कसावाही, गंगरेल अर्जुनी, शंकरदाह, रत्नाबांधा सहित विभिन्न गांव से लोग मेला का लुत्फ उठाने पहुंचते हैं। भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना के बाद लोग रुद्रेश्वर घाट के आसपास घूमते हैं। इसके अलावा रुद्री बैराज के पास रमणीय स्थलों का भी भ्रमण करते हैं। हर साल यहां पर लोगों की भीड़ बढ़ती ही जा रही है। वन गमन के दौरान भगवान श्रीराम ने की थी भगवान रुद्रेश्वर की पूजा-अर्चना ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने वन गमन के दौरान यहां स्थित भगवान रुद्रेश्वर की पूजा-अर्चना कर अपना आगे का मार्ग तय किया था। राम वन गमन क्षेत्र होने की वजह यहां की महत्ता बढ़ गई है। सावन मास, माघी पूर्णिमा सहित अन्य खास अवसर पर यहां विविध आयोजन होते हैं। सावन मास में हर साल रुद्रेश्वर महादेव मंदिर में महीने भर तक रामायण पाठ होता है। कांवरिए सर्वप्रथम भगवान रुद्रेश्वर को जल चढ़ाने के बाद ही अन्य शिवालयों में जल अर्पित करने जाते हैं। मंदिर के पुजारी गोकुल यादव का कहना है कि यहां का शिवलिंग स्वयंभू है। पूर्व में यहां का मंदिर खंडित स्वरूप में था। वर्तमान में मंदिर का जो स्वरूप दिखाई दे रहा है, वह 10 सालों के भीतर बना है। यहां मेला भरने का इतिहास सालों पुराना है। हिन्दुस्थान समाचार / रोशन

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