धमतरी, 15 जनवरी ( हि. स.)। 15 औषधीय गुणों से भरपूर ’काला हीरा’ याने कि ’मखाना’ की पापिंग अब धमतरी जिले में मशीन से शुरू हो गई है। ध्यान देने वाली बात है कि सूखे मेवे, उपवास में भोजन के तौर पर उपयोग में लाए जाने वाले मखाना में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम, विटामिन काम्प्लेक्स, फाइबर और एश होता है। खुले बाजार में 600 से 800 रुपये किलो में मिलने वाले मखाने की खेती धमतरी में कृषि विज्ञान केंद्र प्रक्षेत्र में पिछले तीन सालों से की जा रही है। वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख कृषि विज्ञान केंद्र डा एसएस चन्द्रवंशी ने बताया कि मखाना की खेती जल भराव और दलदली भूमि में होती है। चूंकि धमतरी जिले का क्षेत्र निचली भूमि है, इसलिए यहां मखाना की खेती के बेहतर नतीजे मिलने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। ’काले हीरे’ की औषधीय गुणों को समझ बोड़रा के किसान हरिओम साहू द्वारा 2017-18 में अपने 75 डिसमिल खेत में मखाना की खेती की। यहां उत्पादित तकरीबन सात क्विंटल मखाना बीज को कृषि विज्ञान केंद्र की मदद से बिहार और लुधियाना में बेचा गया। किसान श्री साहू को इससे 40 हजार रुपये का मुनाफा हुआ। मगर हाल ही में रूर्बन क्लस्टर लोहरसी के तहत कृषि विज्ञान केंद्र सम्बलपुर में मखाना प्रसंस्करण इकाई स्थापित की गई है। जिसमें 12 लाख रुपये की लागत वाली मखाना रोस्टिंग और पापिंग मशीन प्रदान की गई है। इसके जरिए अब मखाना की पापिंग और मखाना की खेती के प्रति किसानों का और रूझान बढ़ने की संभावना बढ़ गई है। कृषि विज्ञान केंद्र में स्थापित इस मखाना प्रसंस्करण इकाई में लोहरसी रूर्बन क्लस्टर की जनजागरण, जय दुर्गे, गायत्री, जय मां पार्वती इत्यादि महिला स्व सहायता समूह की 10 महिलाओं ने प्रशिक्षण लिया है और वे इस इकाई का संचालन भी कर रही हैं। जय दुर्गे महिला स्व सहायता समूह की सरस्वती साहू और गायत्री महिला स्व सहायता समूह सम्बलपुर की सरिता साहू बताती हैं कि उनका समूह आधे एकड़ में मखाना की खेती 2019-20 से कर रहा है। इस मशीन से पापिंग करने से अच्छी गुणवत्ता के मखाना पाप हो रहे तथा मेहनत और समय दोनों की बचत हो रही है। वहीं संतोषी रामटेके और जयंती ध्रुव भी मखाना प्रसंस्करण इकाई स्थापना से समूह को पापिंग के जरिए होने वाले लाभ को लेकर काफी खुश नजर आई। मालूम हो कि कृषि विज्ञान केंद्र में वर्ष 2019-20 में आठ एकड़ में उत्पादित मखाना बीज की पापिंग अभी की जा रही है। डा चन्द्रवंशी का कहना है कि पहले जहां मैनुअल तौर पर एक दिन में तीन से पांच किलो मखाना पाप होता था, वहीं मशीन से एक दिन में 20 से 30 किलो मखाना पाप मिल रहा है। इस तरह से मखाना पापिंग की लागत 44 हजार रुपये और प्रति एकड़ शुद्ध मुनाफा एक लाख 17 हजार रुपये हो रहा है। हिन्दुस्थान समाचार / रोशन-hindusthansamachar.in