एनएलयू छात्र की संदिग्ध मौत का प्रकरण: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पड़ताल आरंभ

एनएलयू छात्र की संदिग्ध मौत का प्रकरण: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पड़ताल आरंभ

जोधपुर, 14 अक्टूबर (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2017 में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (एनएलयू) जोधपुर के छात्र की संदिग्ध मौत के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्थान पुलिस को दो महीने में जांच पूरी करने के निर्देश दिए हैं। जांच रिपोर्ट को कोर्ट के समक्ष पेश करने को कहा गया है। इधर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अब इसमें नई तरह से जांच आरंभ करते हुए आज रेलवे टे्रक पर मानवीय डमी को लगाकर क्राइम सीन को रिक्रेट किया गया। पुलिस उपायुक्त पूर्व धर्मेंद्र सिंह यादव के अनुसार इसमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नए सिरे से पड़ताल आरंभ की गई है। एक एसआईटी गठित हुई है जिसकी आज बैठक भी हुई। क्राइम सीन को रिक्रेट कर पड़ताल शुरू की गई है। मानवीय डमी को घटनास्थल पर लगाकर क्राइम सीन को फिर से दोहराया गया। ताकि पता लग सके कि मानव बॉडी के अंश कहां तक गिर सकते है। एसआईटी की इस टीम में भी कई एक्सपर्ट जुड़े है जो पता जांच में सहयोग कर रहे है। इसमें रेलवे से लेकर एम्स अस्पताल के चिकित्सक तक शामिल है। उल्लेखनीय है कि नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के छात्र रहे विक्रांत का शव 14 अगस्त, 2017 को मंडोर रेलवे स्टेशन की पटरी के पास पाया गया था। घटना के बाद यूनिवर्सिटी ने जांच के लिए प्रयास करने की बजाय इसे आत्महत्या घोषित कर दिया। विक्रांत के पिता जयंत कुमार ने मृत्यु के कारणों की जांच के लिए प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने के कई बार प्रयास किए, लेकिन पुलिस ने कार्यवाही नहीं की। लगातार प्रयासों के बाद जून, 2018 में सीआईडी सीबी ने एफआइआर दर्ज की। इस एफआइआर के दर्ज होने के बावजूद अनुसंधान में कोई प्रगति नहीं हुई, जिसे हाईकोर्ट के संज्ञान में लाया गया था। हाईकोर्ट ने इसी साल 24 फरवरी को आवश्यक दिशा-निर्देश देते हुए याचिका निस्तारित कर दी थी। इस मामले को सीबीआई जांच के आदेश की मांग के साथ सुप्रीम कोर्ट में पेश करने पर पिछले महीने राज्य सरकार से जवाब-तलब किया गया था। बुधवार को सुनवाई के दौरान न्यायाधीश आरएफ नरीमन, नवीन सिन्हा और बीआर गवई की पीठ में राज्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष सिंघवी ने जांच की और अब तक की प्रगति का ब्यौरा दिया। पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश से जारी जांच दो महीने में पूरी की जाए और अंतिम रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश की जाए। विक्रम की मां श्रीमती नीतू ने याचिका में कहा कि राजस्थान पुलिस जांच के प्रति लापरवाह रही है। यह आरोप भी लगाया गया है कि पुलिस ने कई विश्वसनीय गवाहों को नजरअंदाज किया। हिन्दुस्थान समाचार/सतीश-hindusthansamachar.in

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