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घर पर ही कर रहा था आरटीओ का कार्य, 18 राज्यों के जारी के दिए 7 हजार फर्जी लाइसेंस, अब चढ़ा पुलिस के हत्थे

चित्तौड़गढ़, 14 फरवरी (हि.स.)। जिले की मंगलवाड़ पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 7-8 वर्षों से चल रहे फर्जी लाइसेंस, आरसी और टोल पर्ची बनाने के कारोबार का खुलासा किया है। पुलिस ने मुख्य आरोपित और उसके एजेंट को गिरफ्तार किया है। आरोपितों द्वारा 18 राज्यों के विभिन्न जिलों में लगभग सात हजार फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए। दोनों आरोपित घर से ही आरटीओ का कार्य संचालन कर रहे थे। पुलिस अधीक्षक दीपक भार्गव ने रविवार को बताया कि पुलिस द्वारा संदिग्ध गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जा रही थी। इस दौरान थानाधिकारी मंगलवाड़ विक्रमसिंह को सूचना मिली कि प्रतिदिन कुछ ट्रक ड्राइवर अपना ट्रक हाईवे पर खड़ा कर मंगलवार कस्बे में आते-जाते हैं और कुछ होटलों पर संपर्क करते हैं। पुलिस ने अपने सूचना तंत्र को एक्टिव किया, जिसके तहत भारत के कई राज्यों के फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस, आरसी, टोल पर्चियां और अन्य दस्तावेज तैयार करने की बात सामने आई। इस पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक तृप्ति विजयवर्गीय एवं उप अधीक्षक आशीष चौधरी बड़ीसादड़ी के निर्देशन में थानाधिकारी द्वारा तुरंत एक टीम का गठन किया गया और बोगस ग्राहक बना कर आरोपितों के घर भेजा गया। इसने एक फर्जी लाइसेंस बना कर दिया, जिसके बाद पुलिस ने उसके घर पर दबिश दी। पुलिस ने यहां से कई फर्जी लाइसेंस, अन्य दस्तावेज आदि बरामद किए। पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी सांगरिया हाल मंगलवाड़ चौराहा निवासी देवेंद्र बैरागी पुत्र अर्जुनदास व इसके एजेंट मंगलवाड़ चौराया निवासी ऋषि पुत्र दिनेश अग्रवाल को गिरफ्तार कर मामला दर्ज कर लिया। इसके आगे की जांच भादसोड़ा थानाधिकारी भवानी शंकर द्वारा किया जा रहा है। आरोपियों से इस कारोबार से जुड़े अन्य व्यक्तियों के बारे में भी पूछताछ की जा रही है। पुलिस अधीक्षक भार्गव ने बताया कि अभी तक की पूछताछ में परिवहन विभाग कार्यालय की कोई मिली भगत सामने नहीं आई है। यह हुई बरामदगी पुलिस ने आरोपित देवेंद्र वैष्णव के मकान की तलाशी ली। इसमें मकान से कई फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस, बड़ी संख्या में ड्राइविंग लाइसेंस की फोटो प्रतियां, टोल नाकों की पर्चियां प्राप्त हुई। मौके से 200 चिप लगे खाली ड्राइविंग लाइसेंस, बिना चिप लगे 48 कार्ड, फर्जी दस्तावेज बनाने के उपकरण जिनमें लैपटॉप जो अलग-अलग कंपनी के थे, 3-4 कलर प्रिंटर, पांच ट्रे-कार्ड, स्क्रुड्राइवर, मशीन, शोल्डर, ग्लू गन, गैस हिटर, हार्ड डिस्क, टूलबॉक्स, आईपैड, कीबोर्ड, प्रिंटर के थर्मल रोल, लैपटॉप चार्जर, माउस, पेनड्राइव, वाईफाई और बिना सिम के कुछ मोबाइल पाए गए। - कई राज्यों में दौड़ रहे फर्जी लाईसेन्स एसपी भार्गव ने बताया कि अभी तक दोनों आरोपियों द्वारा लगभग 7000 फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस जारी कर दिए गए हैं। अधिकतर ड्राइविंग लाइसेंस पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, गुजरात एवं अन्य राज्यों के बनाए हुए हैं। 15 से 20 मिनिट में फर्जी लाइसेंस पुलिस अधीक्षक ने बताया कि मंगलवाड़ कस्बा नेशनल हाईवे पर स्थित होने के कारण हर राज्य के वाहन यहां से गुजरते हैं। इस कारण राज्य से ड्राइवर इनके संपर्क में रहते हैं एवं आवश्यकता पड़ने पर 15-20 मिनिट में फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस जारी कर देते हैं। इसके अलावा देश के विभिन्न कोनों में स्थित टोल प्लाजा की फर्जी पर्चियां निकाल कर दी जा रही थी। आरोपी एक से पांच हजार में फर्जी लाइसेंस बना रहे थे। कुछ दस्तावेज इसके द्वारा पुलिस का लोगो लेकर सीएलजी सदस्य के नाम से कार्ड बनाए गए हैं। - स्पेशलाइज एजेंसी की लेंगे मदद पुलिस अधीक्षक ने बताया कि आरोपियों से पूछताछ में खुलासा हुवा है कि वे फर्जी तरीके से लैपटॉप व प्रिंटर की सहायता से ड्राईविंग लाईसेंस, आरसी व टोल प्लाजा की पर्चियां बनाता है। एसपी भार्गव ने कहा इस मामले में स्पेशलाइज एजेंसी की भी मदद लेंगे। एसपी भार्गव ने कहा हमनेेेे परिवहन विभाग से इस संबंध में बात की है लेकिन उनकी मिली भगत सामने नहीं आई है। - पुलिसकर्मियों के भी हूबहू बना दिए दस्तावेज एसपी भी रह गए आश्चर्यचकित जानकारी में सामने आया कि आरोपी देवेन्द्र बैरागी अपने लेपटॉप व प्रिन्टर की मदद से लैपटॉप में एडॉब फोटो शॉप के जरिए ऑरीजनल ऑईडी से नाम पते मिटा कर उसकी जगह फर्जी नाम व पते लिख कर हुबहु दिखने जैसे ड्राइविंग लाईसेंस, आरसी व टोल प्लाजा की पर्चीया बनाता है। आरोपित के पास डिजिटल सिग्नेचर भी उपलब्ध थे, जिसके सहारे यह अपने कारोबार को आगे बढ़ा रहा था। फर्जी दस्तावेज को देखकर पुलिस अधीक्षक दीपक भार्गव भी आश्चर्यचकित रह गए। आरोपित ने पुलिसकर्मियों तक के फर्जी दस्तावेज तैयार कर दिया थे। हिंदुस्थान समाचार/अखिल/ ईश्वर-hindusthansamachar.in

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