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हेलिकॉप्टर क्रैश में अकेले जीवित बचे शौर्य चक्र विजेता ग्रुप कैप्टन दुर्घटना के स्पष्ट कारणों का कर सकते हैं खुलासा

चेन्नई, 8 दिसम्बर (आईएएनएस)। तमिलनाडु के कुन्नूर के पास हुई हेलीकॉप्टर दुर्घटना में देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और 11 अन्य लोगों की मृत्यु हो गई, जिसमें केवल एक अधिकारी ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह की जान बची है। बुधवार को कुन्नूर के पास दुर्घटनाग्रस्त हुए एमआई-17वी5 हेलीकॉप्टर में सवार सिंह का फिलहाल इलाज चल रहा है और वह ठीक होने के बाद उड़ान का विवरण साझा कर सकते हैं। तमिलनाडु के कुन्नूर के पास नीलगिरि हिल्स में बुधवार को भारतीय वायु सेना का एक हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हेलीकॉप्टर में सीडीएस रावत, उनकी पत्नी और कई अन्य अधिकारी सवार थे। दुर्घटना पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित तमाम बड़े नेताओं ने शोक व्यक्त किया है। शौर्य चक्र वीरता पुरस्कार प्राप्त करने वाले, सिंह, जिनका वेलिंगटन के सैन्य अस्पताल में इलाज चल रहा है, हेलिकॉप्टर में सवार 14 यात्रियों में से एक थे, जिसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत भी थीं। हेलीकॉप्टर के ब्लैक बॉक्स, उसके अवशेषों तथा अन्य पहलुओं की फोरेंसिक जांच के बाद दुर्घटना के विवरण का पता चलेगा, मगर सिंह ठीक होने पर उड़ान के अंतिम मिनटों का प्रत्यक्ष विवरण दे सकते हैं। यह पता चला है कि सिंह को हाल ही में विंग कमांडर से ग्रुप कैप्टन के रूप में पदोन्नत किया गया था और वह हाल ही में डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज (डीएसएससी) में शामिल हुए थे। लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) स्क्वाड्रन में पायलट, सिंह 12 अक्टूबर, 2020 को फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम (एफसीएस) और प्रेशराइजेशन सिस्टम (लाइफ सपोर्ट एनवायरनमेंट कंट्रोल सिस्टम) के बड़े सुधार के बाद, अपने मूल आधार से दूर, एलसीए में सिस्टम चेक सॉर्टी उड़ा रहे थे। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, उड़ान के दौरान ऊंचाई पर कॉकपिट का प्रेशराइजेशन विफल हो गया। हालांकि, सिंह ने विफलता की सही पहचान की और लैंडिंग के लिए कम ऊंचाई पर उतरने की पहल की। उतरते समय, उड़ान नियंत्रण प्रणाली विफल हो गई और इससे विमान का नियंत्रण पूरी तरह से समाप्त हो गया। यह एक अभूतपूर्व आपदाजनक विफलता थी, जो कभी नहीं हुई थी। इस स्थिति में वह तेजी से नीचे आया और उसे कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था। जीवन और मृत्यु के बीच फंसे अधिकारी ने अत्यधिक शारीरिक और मानसिक तनाव में होने के बावजूद संयम बनाए रखा और विमान पर नियंत्रण हासिल कर लिया, जिससे असाधारण उड़ान कौशल का प्रदर्शन हुआ। अपने स्वयं के जीवन के लिए संभावित खतरे का सामना करते हुए, उन्होंने लड़ाकू विमानों को सुरक्षित रूप से उतारने के लिए असाधारण साहस और कौशल का प्रदर्शन किया। सिंह को उनकी उच्च स्तर की कर्तव्य-निष्ठा, संयम और त्वरित निर्णय लेने के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। यहां तक कि अपने जीवन के जोखिम के बीच उन्होंने न केवल एक एलसीए के नुकसान को टाला, बल्कि नागरिक संपत्ति और जमीन पर आबादी की रक्षा भी की। --आईएएनएस एकेके/एएनएम

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