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देश भर में लाखों पेंशनधारकों से ठगी करने वाले 2 लोगों को पुलिस ने किया गिरफ्तार

लखनऊ, 16 अगस्त (आईएएनएस)। यूपी साइबर सेल ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है, जो खुद को ट्रेजरी अधिकारी बताकर सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारियों से ठगी करते थे। उनके गिरोह के पांच सदस्य अभी भी फरार हैं। गिरफ्तार किए गए दो लोगों की पहचान प्रमोद मंडल और मंटू कुमार मंडल के रूप में हुई है, जिन्होंने कथित तौर पर तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा, राजस्थान में कई लोगों से ठगी करते थे। साइबर सेल के अधिकारियों ने कहा कि अकेले उत्तर प्रदेश में गिरोह ने पिछले एक साल में लोगों से 5 करोड़ रुपये ठगे हैं। साइबर सेल ने दोनों को पश्चिम बंगाल के कोलकाता से गिरफ्तार किया है। पुलिस ने इनके पास से अलग-अलग सिम कार्ड, बैंक के एटीएम, ब्लूटूथ साउंड सिस्टम भी बरामद किए हैं। यूपी साइबर सेल के अतिरिक्त महानिदेशक राम कुमार ने कहा, इस गिरोह का प्रमोद मंडल मास्टरमाइंड है, जिस पर सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारियों को ठगने के 36 मामलों में मामला दर्ज किया गया है। कुमार ने यह भी कहा कि गिरफ्तार किए गए युगल पेंशन और अन्य भत्तों की तलाश में ट्रेजरी अधिकारी या अधिकारी के रूप में अपना काम पूरा करते थे, जो एक सेवानिवृत्त कर्मचारी को विभाग से प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जाता है। सेवानिवृत्त पुलिस पेंशनरों की ठगी की शिकायत मिलने के बाद यूपी पुलिस की साइबर सेल सक्रिय हो गई। पेंशनभोगी छोटे लाल से 11 लाख रुपये, राम लखन चौधरी से 10 लाख रुपये और उदयवीर सिंह से 10 लाख रुपये ठगे गए। तीनों को तीन महीने की अवधि में ठगी की गई। इसी तरह की कई शिकायतें जिला साइबर सेल लखनऊ हरदोई में दर्ज की गई थी। लखनऊ में सचिवालय के एक सेवानिवृत्त अधिकारी से 53 लाख रुपये ठगे गए। कुमार ने कहा, उन्होंने आसानी से लोगों को बरगला कर उनसे अपने एटीएम के पासवर्ड या बैंक खाते के विवरण को सुरक्षित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया। इसके बाद, धन को ई-वॉलेट में सेव कर दिया गया, जिसे उन्होंने भुना लिया। साइबर सेल के एक अन्य पुलिस अधिकारी ने कहा कि गिरोह के प्रत्येक सदस्य को एक विशेष कार्य सौंपा गया था जैसे नकली बैंक खाते खोलना, नकली सिम कार्ड प्राप्त करना, पीड़ितों को कॉल करना, पुलिस की गतिविधि के बारे में सूचित करना और बैंक के काम के माध्यम से प्राप्त धन को भुनाने के लिए धोखा देना। उन्हें उनके काम के महत्व के अनुसार पैसे का हिस्सा दिया जाता था। पुलिस ने कहा कि प्रमोद ने अपने कई रिश्तेदारों और दूर के रिश्तेदारों को रोजगार देकर एक गिरोह बनाया था। गिरोह के बाकी सदस्यों की गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं। --आईएएनएस एनपी/आरजेएस

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