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जेल में मिले मोबाइल का मामला: जेल परिसर के क्वार्टरों की तलाशी

जोधपुर, 02 मार्च (हि.स.)। जोधपुर केंद्रीय कारागार में ऑपरेशन फ्लश आउट के बाद भी लगातार अवांछित सामग्री मिलने को लेकर स्थानीय पुलिस सख्त हो गया है। एक सप्ताह में दो बार में 18 मोबाइल मिलने और फिर वीडियो सामने आने के बाद पुलिस हरकत में है। जेल प्रशासन पर मिली भगत के आरोप भी लगने लगे है। मगर पुलिस बिना साक्ष्य या सबूत के इस बारे में कुछ कहने की स्थिति में नहीं है। सोमवार की देर रात पुलिस के आलााधिकारियों की मौजूदगी में जेल परिसर में बने क्वाटरों में तलाशी ली गई। हालांकि कोई निषिद्ध सामग्री नहीं मिली है। पुलिस की तरफ से क्वार्टरों में ली गई तलाशी से लगता है कि पुलिस ने कुछेक लोगों को नामजद किया है। जिसे वह संदिग्ध मानकर वहां पहुंची है। जेल परिसर में पुलिस उपायुक्त्त पूर्व धर्मेंद्र सिंह यादव के सुपरविजन में रात को यहां पर तलाशी ली गई थी। पुलिस उपायुक्त धर्मेंद्र सिंह यादव के अनुसार जेल में पहले 17 मोबाइल मिले। फिर एक वीडियो देखा गया और बाद में एक और मोबाइल बरामद हुआ था। तीन प्रकरण रातानाडा थाने में दर्ज हो गए है। अब इन मोबाइल का यूज किन किन लोगों द्वारा और कहां कहां बातचीत हुई इस बारे में पता लगाने का प्रयास चल रहा है। सबूत व साक्ष्य जुटाने के लिए भी पुलिस को बार बार जेल की तलाशी में जाना पड़ रहा है। जो मोबाइल मिले है उसमें कुछेक लोगों को नामजद किया जा रहा है। संदेह है कि उनका क्वार्टर में रहने वाले लोगों से भी कोई कनेक्शन हो सकता है। पुलिस की तरफ से साक्ष्य जुटाने का काम भी चल रहा है। जल्द ही मामले को लेकर पटाक्षेप किया जा सकता है। प्रकिया लंबी है मगर पुलिस की तरफ से गहन पड़ताल की जा रही है। बता दें कि जेल डीजीपी राजीव दासौत की तरफ से गत वर्ष 21 नंवर से लेकर 28 फरवरी के लिए प्रदेश की जेलों में ऑपरेशन फ्लश आउट चलाया गया था। तब काफी मात्रा में जेलों से मोबाइल के साथ निषिद्ध सामग्री जब्त हुई थी। मगर जोधपुर केंद्रीय कारागार में फ्लश आउट से तीन दिन पहले ही एक साथ 17 मोबाइल मिलने से पुलिस की नींद उड़ा दी। जबकि जेल परिसर के जैमर व कैमरों को पुलिस कमांड कंट्रोल से जोड़ा हुआ है। जेल के राशन स्टोर इंचार्ज का नाम भी केस में शामिल हो गया, इसके अलावा दो ठेकेदारों के नाम भी उजागर हुए है। मगर अब तक पुलिस इनकी गिरफ्तारी ने बता पाई। हिन्दुस्थान समाचार/सतीश/संदीप

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