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पूर्व एमएलसी रामू द्विवेदी मामला : गोली कांड की हुई जांच तो फंस सकते हैं विवेचक

देवरिया, 13 जून (हि.स.)। संजय केडिया और रामू के बीच वर्ष 2014 में भुजौली कॉलोनी स्थित आवास पर विवाद के बाद दोनों पक्षों के बीच गोली चली थी। इसमें गोरखपुर का एक युवक घायल हुआ था। पुलिस दोनों पक्षों के विरुद्ध गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज विवेचना कर ही रही थी। तभी रामू ने अपने प्रभाव का उपयोग करते हुए इसकी विवेचना गैर जनपद के पुलिस अधिकारी से कराया। इसमें विवेचक ने हत्या के प्रयास समेत अन्य धाराओं को हटा दिया था। अब जब रामू की गिरफ्तारी हुई तो पुलिस की विवेचना और विवेचक पर सवाल उठने लगे है। दरअसल, वर्ष 2014 के फरवरी माह में स्पोर्टस स्टेडियम में हॉकी का फाइनल मैच था, जहां किसी बात को लेकर तत्कालीन एमएलसी रामू द्विवेदी और एक कारोबारी संजय केडिया के बीच विवाद हो गया था। इसके बाद एक पक्ष के कुछ लोगों ने देर रात को भुजौली कॉलोनी स्थित एमएलसी के मकान पर फायरिंग की। दोनों तरफ से ताबड़तोड़ गोलिया चली। इसमें गोरखपुर निवासी सरफराज के पैर में गोली लग गई, जिसे इलाज के लिए गोरखपुर में भर्ती कराया गया। इस मामले में तत्कालीन एमएलसी ने संजय केडिया, श्रीप्रकाश तिवारी समेत कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। जबकि संजय केडिया ने भी तत्कालीन एमएलसी रामू द्विवेदी, विशाल राव, संजय चौरसिया समेत 10 लोगों पर एफआईआर दर्ज करायी। इसकी जांच कोतवाली पुलिस कर रही थी। इस मामले में रामू द्विवेदी ने शासन में पैरवी कर जांच गैर जनपद के पुलिस अधिकारी के लिए आदेश करा लिया। इसकी जांज पड़ोसी जिले के एक पुलिस अधिकारी ने की और एमएलसी के दबाव में आकर गोलीकांड और युवक को लगी गोली की बात को नजदअंदाज करते हुए मामले में 307 और 384 आईपीसी की धाराओं को हटा दिया। हिन्दुस्थान समाचार /ज्योति/

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