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जीएमसीएच में मरीज की मौत पर तोड़फोड़

बेतिया, 09 अप्रैल (हि.स.)। गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मेल मेडिसिन वार्ड में बसवरिया के धुनियापट्टी निवासी दिलजान मियां (60) की मौत शुक्रवार की सुबह हो गयी। दिलजान की मौत को ले जीएमसीएच मारपीट के अखाड़ा में तब्दील हो गया। इस दौरान परिजनों ने चिकित्सक के.जमा व जीएनएम मनीष कुमार पर हमला बोल दिया। मेल मेडिसिन वार्ड मेें तोड़ फोड़ की गयी। इस दौरान मृतक के पुत्र अब्दुल रहीम गंभीर रुप से जख्मी हो गए। उन्हें पटना रेफर कर दिया गया है। परिजनों का आरोप है कि चिकित्सकों व गार्ड ने मारकर उन्हें घायल कर दिया है। जबकि अस्पताल प्रशासन का कहना है कि अब्दुल रहीम ने दरवाजे में लगे शीशे को अपने हाथ से वार कर तोड़ा,जिसमें वे जख्मी हो गए थे। घटना की सूचना पर एसडीपीओ मुकुल कुमार पांडेय, एएसडीएम अनिल कुमार, नगर थानाध्यक्ष राकेश कुमार भास्कर, कालीबाग ओपी प्रभारी रणधीर कुमार भट्ट व मुफस्सिल थानाध्यक्ष मौके पर पहुंचे। तब तक नगर थाना के पदाधिकारियों ने लोगों को समझा-बुझाकर घर भेज दिया था। मृतक के पुत्र चांद ने बताया कि गुरुवार की रात उनके पिता की तबियत खराब हुई। वे लोग जीएमसीएच लेकर पहुंचे, दवा दी गयी। आराम होने पर वे लोग घर लेकर चले गए। सुबह में अचानक दिलजान मियां का पेट फुलने लगा। तब वे लोग उन्हे अस्पताल लेकर पहुंचे। लेकिन चिकित्सकों ने इलाज नहीं किया। उनकी मौत हो गयी। विरोध करने पर डॉक्टर, जीएनएम व गार्ड ने परिवार के लोगों को मारना-पीटना शुरू किया। इस दौरान उसके बड़े भाई रहीम मियां गंभीर रुप से जख्मी हो गए। चिकित्सक डॉ. के. जमा ने बताया कि दिलजान मियां को सुबह में मृत अवस्था में अस्पताल में लाकर हंगामा किया गया। परिजनों ने जानलेवा हमला किया। हंगामा के कारण घंटों ठप रही चिकित्सा व्यवस्था गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दिलाजन मियां की मौत होने पर जीएमसीएच का सी ब्लॉक रण क्षेत्र में तब्दील हो गया था। जीएनएम पर हुए हमले के कारण सभी वार्डो में कार्यरत जीएनएम अपने काम को छोड़कर अलग हो गए। जिसकेे चलते मरीज व उनकेे परिजनों को परेशानी का सामना करना पड़ा। रमौली की मीना देवी (60) को महिला मेडिसिन वार्ड में चार दिन पहले से भर्ती किया गया है। उनकी सेवा कर रही पुत्री नीति पांडेय ने बताया कि हंगामे के बाद सभी कर्मी वार्ड छोड़कर चले गए है। इंजेक्शन देने वाला भी कोई नहीं है। यहीं स्थिति सभी मरीजों के साथ कायम थी। परिजन परेशान थे, वे कर्मियों को ढूंढ़ रहे थे कि वे मिले तो मरीज का इलाज हो सके। हिन्दुस्थान समाचार/अमानुल हक

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