विश्व की शक्तिशाली एवं विकसित सभ्यताओं के मापदंड कोरोना संकट काल में टूटे : इंद्रेश कुमार
विश्व की शक्तिशाली एवं विकसित सभ्यताओं के मापदंड कोरोना संकट काल में टूटे : इंद्रेश कुमार

विश्व की शक्तिशाली एवं विकसित सभ्यताओं के मापदंड कोरोना संकट काल में टूटे : इंद्रेश कुमार

धर्म संस्कृति संगम काशी प्रांत के वेबीनार को किया सम्बोधित वाराणसी,18 जून (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य डा. इंद्रेश कुमार ने कहा कि विश्व की शक्तिशाली एवं विकसित सभ्यताओं के जो मापदंड अब तक बने हुए थे, वह इस वैश्विक कोरोना महामारी के समय टूटते हुए नजर आ रहे हैं। आज इन सभ्यताओं के मापदंड को फिर से स्थापित करने की आवश्यकता है। ऐसे में भारतीय सभ्यता को ही इसका भार लेना होगा। इंद्रेश कुमार गुरूवार को धर्म संस्कृति संगम काशी प्रांत की ओर से आयोजित "कोरोना महामारी में भारत की भूमिका एवं बोधिसत्व" विषयक एक दिवसीय वेबीनार को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के मूल में ही समस्याओं का समाधान सन्निहित है। कोरोना संकट पर उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी चीन द्वारा मानव निर्मित व उसके विस्तारवादी नीति के पोषण के लिए जैविक हथियार के रूप में विकसित किया गया है। उन्होंने बताया कि भारत सशक्त नेतृत्व के कारण इस महामारी से अपने आप को सुरक्षित करने में सफल रहा। इस महामारी के दौरान ताली, थाली, शंखनाद एवं दीप प्रज्वलन के वैज्ञानिक महत्व को भी उन्होंने बताया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण में ध्वनि, प्रकाश या अग्नि की अधिकता हो तो इससे वायरस की शक्ति या यूं कहें वायरस को निष्प्रभाव करने में मदद मिलती है। वेबीनार में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा परिषद् के अध्यक्ष प्रोफेसर जीसी त्रिपाठी ने कहा कि भारत की परिवार की अवधारणा में ही इस वैश्विक महामारी के समाधान के सूत्र छुपे हुए हैं। आज भारतीय मनीषियों के दर्शन एवं वैचारिक दृष्टिकोण में ही विश्व का कल्याण छिपा हुआ है, यदि विश्व पूरे व्यक्ति को अपने परिवार की भांति समझे तो वर्तमान की समस्या से निजात पाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हम प्राचीन काल से ही विश्व बंधुत्व के भाव से जीते चले आ रहे हैं। हमने अपने ऋषियों के द्वारा बनाए हुए मापदंडों के आधार पर जीवन जीने का जो मार्ग चुना है। गोष्ठी की अध्यक्षता तिब्बती उच्च शिक्षा संस्थान के कुलपति प्रो. गेशे नवांग समतेन ने किया। वेबीनार का संचालन प्रोफ़ेसर हरिप्रसाद अधिकारी अध्यक्ष, तुलनात्मक दर्शन, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ने किया। अतिथियों का स्वागत काशी प्रांत धर्म संस्कृति संगम की डॉक्टर माधवी तिवारी ने किया। वेबीनार में देश अथवा विदेश से संबद्ध विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों, विभागाध्यक्ष, शोध छात्र छात्राओं सहित रिटायर्ड एयर मार्शल ने भाग लिया। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/दीपक-hindusthansamachar.in

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