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छत्तीसगढ़ विधानसभा : हम अन्नदाताओं के साथ छल नहीं होने देंगे : भूपेश बघेल

केन्द्र पूरा 60 लाख मीटरिक टन चावल ले, तो अतिशेष धान बेचना नहीं पड़ेगा रायपुर, 26 फरवरी (हि.स.) । छत्तीसगढ़ विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पारित हुआ। इससे पहले सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुक्रवार को कहा कि यह देश और प्रदेश अन्नदाताओं का है। हम किसी भी सूरत में किसानों को उनके अधिकारों से वंचित नहीं होने देंगे। हम अन्नदाताओं के साथ छल नहीं होने देंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि चर्चा के दौरान जो लोग यहां समर्थन मूल्य पर धान खरीद को लेकर बातें कर रहे थे। दिल्ली में उन्हीं की सरकार है। वहां समर्थन मूल्य पर फसल खरीदने की मांग को लेकर किसान आंदोलन कर रहे हैं, दो सौ से अधिक किसानों की मौत हो गई, लेकिन तब भी उस सरकार ने ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि किसानों पर तीन ऐसे कानून जबरदस्ती थोपे जा रहे हैं, जिसे किसान चाहते ही नहीं। उन्होंने कहा कि हमनें छत्तीसगढ़ में किसानों के हितों का पूरा ध्यान रखा। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि मैं छत्तीसगढ़ के हितों को लेकर केन्द्र को लगातार पत्र लिखता हूं। इसलिए विपक्षी सदस्यों ने आज मुझे पत्रजीवी कहा, लेकिन आदिवासियों, नौजवानों, किसानों, अनुसूचित जाति, जनजाति और छत्तीसगढ़ के हितों की बात जब भी आएगी, तो मैं हजार बार पत्र लिखूंगा। हमने किसानों की सुविधा बढ़ाने के लिए 263 नये उपार्जन केन्द्र बनाएं। प्रदेश में 2300 धान खरीदी केन्द्र होने से धान खरीद में कहीं अव्यवस्था नहीं हुई। बारदानों की कमी के बाद भी धान खरीद का काम सुव्यवस्थित ढंग से हुआ। बघेल ने कहा कि केन्द्र सरकार ने जब केन्द्रीय पूल में 60 लाख मीटरिक टन चावल जमा करने की सहमति दी थी, तो विपक्षी सदस्यों ने कहा कि केन्द्र सरकार को धन्यवाद देना चाहिए। इस पर मैंने कहा था कि जिस दिन पूरा 60 लाख मीटरिक टन चावल केन्द्रीय पूल में लिया जाएगा, उस दिन पूरा सदन उन्हें धन्यवाद दूंगा। उन्होंने कहा कि आज केन्द्र ने केवल 24 लाख मीटरिक टन जमा करने की अनुमति दी है। अब विपक्ष को पूरे 60 लाख मीटरिक टन चावल जमा कराने के लिए केन्द्र से अनुमति दिलानी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी नीतियों से कृषि के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2015-16 में 13 लाख 17 हजार 583 किसानों का पंजीयन हुआ था, इनमें से 11 लाख 5 हजार 556 किसानों ने धान बेचा। 16.1 प्रतिशत किसान धान नहीं बेच पाए। इसी तरह 2016-17 में 14 लाख 51 हजार 88 किसानों का पंजीयन हुआ, इनमें से 13 लाख 27 हजार 944 किसानों ने धान बेचा। 8.5 प्रतिशत किसान धान नहीं बेच पाए। 2017-18 में 15 लाख 77 हजार 332 किसानों का पंजीयन हुआ, 12 लाख 6 हजार 224 किसानों ने धान बेचा और 23.6 प्रतिशत किसान धान नहीं बेच पाए। जबकि इस साल याने 2020-21 में 21 लाख 52 हजार 475 किसानों का पंजीयन किया गया। 20 लाख 53 हजार 483 किसानों ने धान बेचा यानि 95.38 प्रतिशत किसानों से धान की खरीदी हुई। इस बार प्रदेश में 24 लाख 86 हजार 665 हेक्टेयर रकबे में किसानों ने धान का उत्पादन किया, जो वर्ष 2015-16 की तुलना में बहुत ज्यादा है। सिंचाई से संबंधित विपक्ष के प्रश्नों का जवाब देेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अरपा-भैंसाझर एक वृहद परियोजना हो सकती थी, लेकिन उसे मध्यम बना दिया गया। बीते दो सालों में राज्य में जल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन से वास्तविक सिंचाई 9 लाख 68 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 13 लाख हेक्टेयर हो गई है, जो अपने आप में कीर्तिमान है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने 15 सालों के अपने कार्यकाल में सिंचाई क्षमता बढ़ाने के लिए 18 हजार 225 करोड़ रुपये खर्च किए। वास्तविक सिंचाई क्षमता में मात्र 16 हजार हेक्टेयर की बढ़ोत्तरी हुई। प्रदेश की कानून व्यवस्था पर बोलते हुए भूपेश बघेल ने कहा कि प्रदेश में कानून का राज है। हम बेहतर कानून व्यवस्था देने में सफल रहे हैं। प्रदेश में नक्सली घटनाएं कम हुई है। इससे 13 साल से बंद स्कूल फिर से खुले हैं। स्वास्थ्य, शिक्षा, सुपोषण, मलेरिया उन्मूलन जैसे क्षेत्रों में उपलब्धियां हासिल हुई है। लोगों का विश्वास शासन पर बढ़ा है। राज्य में कानून व्यवस्था है इसका प्रमाण यह है कि टाटा ट्रस्ट की ओर से जारी इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2020 में छत्तीसगढ़ की पुलिसिंग को देशभर में दूसरा स्थान मिला है। उन्होंने कहा कि केन्द्र से हमें 14 हजार 73 करोड़ रुपये हमारे कार्यकाल की लेनी है, जो केन्द्रीय करों में छत्तीसगढ़ का हिस्सा है। वर्ष 2004 से लेकर अब तक कुल 15 हजार 154 करोड़ रुपये लेने हैं। भूपेश बघेल ने कहा केन्द्रीय करों में हिस्सा हमारा हक है। हिन्दुस्थान समाचार / गेवेन्द्र

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