उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही सम्पन्न हो गया चैती छठ

उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही सम्पन्न हो गया चैती छठ

सुरेन्द्र बेगूसराय, 31 मार्च (हि.स.)। अगरबत्ती और धूप-धुअन की खुशबू से सुगंधित वातावरण के बीच सूर्योपासना का चार दिवसीय पर्व चैती छठ उदयाचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही मंगलवार की सुबह संपन्न हो गया। कोरोना वायरस के कहर के बीच लॉकडाउन के कारण लोग पोखर और गंगा किनारे तो नहीं जा सके, लेकिन पूरी श्रद्धा, भक्ति, शुचिता और विश्वास के साथ अपने-अपने घरों में अस्थाई पोखर बनाकर उसमें ही सूर्यदेव को अर्घ्य दान किया। गेहूं के ठेकुुआ, चावल के लड्डू, पिड़किया, पूआ, गेहूं के आटे का सूूर्य, चांद, लोला और गनगुआयर तथा मौसमी फल को बांस के डाले में सजाकर सुबह होते ही अस्थाई पोखर पर सजा लिया गया। इसके बाद छठ व्रतियों ने अपने परिजनों के साथ उगते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य दिया और अपने परिवार के यश, आरोग्य के साथ ही सुख-समृद्धि की कामना की। इसके साथ लोगों ने सूर्यदेव और छठी मइया से कोरोना दानव रूपी वैश्विक महामारी से भी निजात दिलाने की प्रार्थना की। इसके साथ ही पारण कर व्रतियों ने अपना उपवास समाप्त किया। इधर लॉक डाउन के कारण सिमरिया गंगा धाम कल्पवास स्थल, चमथा एवं साहेबपुर कमाल के राजघाट पर सन्नाटा पसरा रहा। बता दें कि दुनिया की सबसे समृद्ध सनातन संस्कृति में सूर्य की आराधना का विशेष महत्व है। नवग्रहों में राजा सूर्य देव सृष्टि के पालनहार हैं, पूरे ब्रह्मांड का ख्याल रखते हैं और एक मात्र साक्षात देवता हैं। इनकी रश्मियों की वजह से पृथ्वीलोक पर जीवन संभव हुआ तथा इन्हें जीवनदाता माना जाता है। इसीलिए सूर्यदेव का आभार जताने और उनसे आशीर्वाद लेने के लिए साल में दो बार छठ का पर्व पवित्रता के साथ मनाया जाता है। हिन्दुस्थान समाचार-hindusthansamachar.in

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