बैंकों और एनबीएफसी को तीन महीने का मोरेटोरियम
बैंकों और एनबीएफसी को तीन महीने का मोरेटोरियम

बैंकों और एनबीएफसी को तीन महीने का मोरेटोरियम

बैंकों और एनबीएफसी को तीन महीने का मोरेटोरियम नई दिल्ली, 27 मार्च (हि.स.)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को देश की अर्थव्यस्था के लिए कई बड़े ऐलान किए। इसी में से एक बैंकों और एनबीएफसी को तीन महीने का मोरेटोरियम दिया जाना है जिसका सीधा-सीधा फायदा आम जनता को होगा। मोराटोरियम है क्या? आसान भाषा में कहा जाए तो इसके तहत अगले तीन महीनों तक लोन की ईएमआई न चुका पाने वालों की क्रेडिट रेटिंग पर कोई असर नहीं होगा और उनका सिविल स्कोर (क्रेडिट रेटिंग) खराब नहीं होगा। लोगों को दैनिक जीवन यापन करने के लिए कभी-कभी अपनी आय जरूरतों के मुताबिक कम पड़ जाती है और वे अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए धन की व्यवस्था करते हैं। लोगों को घर बनाने के लिए, पढ़ाई करने के लिए या व्यापार करने के लिए बैंक से लोन लेना पड़ता है। इसके लिए बैंक उनसे कुछ दस्तावेज मांगते हैं। बैंक इस तरह के लोन देने में कुछ शर्त भी रखते हैं जिसमें ब्याज, अवधि सम्बन्धी शर्त रखते हैं, इन्हीं में से एक है मोरटोरियम। मोरेटोरियम अवधि को आसान शब्दों में ‘ईएमआई हॉलिडे’ भी कह सकते है। इस अवधि में खरीददार को बैंक की कोई भी मासिक किश्त नहीं चुकानी पड़ती है। मोरेटोरियम अवधि बैंकिंग सेक्टर में लोन के लेन-देन के लिए मोरेटोरियम शब्द सबसे अधिक प्रयोग में आता है। अगर हम पढ़ाई के दौरान एजुकेशन लोन लेते हैं तो उसकी अदायगी जल्द नहीं करनी होती। इस लोन को पढ़ाई पूरी होने के बाद या फिर नौकरी मिलने के बाद 4 से 12 महीने में चुकाना पड़ता है। यदि मोरटोरियम अवधि समाप्त होने के बावजूद नौकरी नहीं मिलती, तब ऐसी स्थिति में आपको यह लोन निर्धारित किश्त के अनुसार चुकाना पड़ेगा।यानी कि कोर्स पूरा होने और नौकरी मिलने के 6 महीने के बाद से लोन की वसूली प्रक्रिया शुरू हो जाती है। बिजनेस और होम लोन के लिए इसमें अलग-अलग नियम बनाये गए हैं, इसे ही बैंकिंग सेक्टर में मोरेटोरियम अवधि कहते हैं। हिन्दुस्थान समाचार/गोविन्द/सुनीत-hindusthansamachar.in

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