कोरोनावायरस के कारण देश में जापानी लोन की नहीं रह गई थी कोई मांग, अब इसमें फिर से तेजी आने के दिखे संकेत
कोरोनावायरस के कारण देश में जापानी लोन की नहीं रह गई थी कोई मांग, अब इसमें फिर से तेजी आने के दिखे संकेत

कोरोनावायरस के कारण देश में जापानी लोन की नहीं रह गई थी कोई मांग, अब इसमें फिर से तेजी आने के दिखे संकेत

कोरोनावायरस महामारी के बीच भारत में आर्थिक गतिविधियों के फिर से चालू होने के संकेत दिख रहे हैं। इसका पता इस बात से भी चलता है कि करीब 6 महीने के सन्नाटे के बाद अब भारतीय कंपनियां जापानी कर्जदाताओं से लोन लेने के लिए आगे आ रही हैं। कोरोनावायरस महामारी शुरू होने के बाद से भारत में जापानी लोन बाजार सुस्त पड़ा हुआ था। देश की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक कंपनी एनटीपीसी जापानी कर्जदाताओं से 75 करोड़ डॉलर ( करीब 5,620 करोड़ रुपए) का लोन लेने की योजना पर काम कर रही है। एनटीपीसी इस साल जनवरी के बाद से जापानी मुद्रा में लोन लेने की कोशिश करने वाली दूसरी भारतीय कंपनी है। इससे पहले इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन (आईआरएफसी) ने पिछले सप्ताह जापान से लोन लेने की कवायद शुरू की थी। महामारी के कारण 4 दशक से ज्यादा लंबी अवधि में पहली बार गिर सकती है देश की जीडीपी कोरोनावायरस महामारी और इसकी रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन का भारतीय कंपनियों पर बेहद बुरा असर पड़ा है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आशंका जताई है कि चार दशक से ज्यादा अवधि में पहली बार भारत की जीडीपी में गिरावट आ सकती है। ऐसी परिस्थितियों में भारतीय कंपनियों के पास नकदी की भारी कमी हो गई है। जापानी कंपनियों से लोन मिलने से स्थिति कुछ बेहतर हो जाएगी। भारतीय कंपनियों को अगली तिमाही में 94,412 करोड़ रुपए के विदेशी कर्ज का भुगतान करना है कई वैश्विक रेटिंग एजेंसियों ने हाल में कई भारतीय कंपनियों की रेटिंग घटा दी है। भारतीय कंपनियों का कम से कम 12.6 अरब डॉलर (करीब 94,412 करोड़ रुपए) का विदेशी कर्ज अगली तिमाही में मैच्योर होने वाला है। आखिरी बार भारत में पनबिजली कंपनी एनएचपीसी लिमिटेड ने जनवरी में जापानी लोन लिया था। इस साल के शुरू में लोन के लिए जापान के कर्जदाताओं के उपलब्ध नहीं हो पाने के कारण कुछ घरेलू कंपनियों ने अपने रिलेसनशिप बैंकों के साथ मिलकर क्लब डील के जरिये येन लोन हासिल किया था।-newsindialive.in

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