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यूपी में पूरी तरह बदलने जा रही है बिजली उपभोक्ताओं की शिकायत निवारण व्यवस्था

लखनऊ, 2 सितम्बर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं की शिकायत दूर करने की व्यवस्था पूरी तरह से विकेंद्रीकृत करने की तैयारी चल रही है। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (यूपीईआरसी) नए उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम (सीजीआरएफ) के लिए रेगुलेशन बनाने का काम शुरू कर चुका है। इसके लिए यूपीईआरसी ने 6 जुलाई, 2021 को यूपी इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (सीजीआरएफ) रेगुलेशन-2021 ड्राफ्ट जारी किया था, जिस पर 18 अगस्त को सुनवाई भी हो चुकी है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश केंद्र के इलेक्ट्रिसिटी (राइट्स ऑफ कंज्यूमर्स) रूल्स, 2020 के तहत सभी स्तरों पर सीजीआरएफ बनाने के लिए कदम उठाने वाला देश का पहला राज्य है। प्रस्तावित सीजीआरएफ व्यवस्था से बिजली उपभोक्ताओं की बिजली आप्रू्ति में बाधा, वोल्टेज की समस्या, मीटर में गड़बड़ी, मीटर बदलना, चार्जेज/भुगतान (बिलिंग की समस्या), कनेक्शन काटने या जोड़ने, और कनेक्शन लोड घटाने या बढ़ाने जैसी तमाम शिकायतों को सुनने और इन्हें दूर करने की व्यवस्था विकेंद्रीकृत हो जाएगी। ड्राफ्ट रेगुलेशन के अनुसार, बिजली उपभोक्ताओं की शिकायतें निपटाने के लिए सभी स्तरों (सब-डिवीजन, डिवीजन, सर्किल, जोन और डिस्कॉम या बिजली वितरण कंपनी) पर एक-एक फोरम बनाया जाएगा। इस फोरम का अध्यक्ष बिजली वितरण कंपनी का कार्यकारी अधिकारी होगा। इसमें उपभोक्ताओं को भी प्रतिनिधित्व मिलेगा। इस फोरम में प्रोज्यूमर्स के प्रतिनिधियों को भी जगह मिलेगी। ग्रिड कनेक्टेड सोलर सिस्टम लगाने वाले उपभोक्ताओं को प्रोज्यूमर्स कहा जाता है, वे बिजली की खपत भी करते हैं और सौर ऊर्जा के जरिए बिजली का उत्पादन भी। नए सीजीआरएफ के ड्रॉफ्ट रेगुलेशन पर वर्चुअल सुनवाई के दौरान विभिन्न संस्थाओं और व्यक्तियों ने कई अहम सुझाव दिए हैं। इसमें शामिल रहे गैर-लाभकारी संगठन काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) ने सब-डिवीजन, डिवीजन और सर्किल स्तर पर स्वतंत्र सदस्यों (यूपीईआरसी की ओर से नामित) की योग्यता में बदलाव करने का सुझाव दिया है। झारखंड, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और राजस्थान के रेगुलेशन का उदाहरण देते हुए सीईईडब्ल्यू ने कहा है कि सब डिवीजन, डिवीजन और सर्किल स्तर पर नए सीजीआरएफ में उपभोक्ता मामलों में कम से कम 5 से 10 वर्ष और जोन स्तर पर कम से कम 10-15 साल का अनुभव रखने वाले व्यक्तियों की नियुक्ति को अनिवार्य करना चाहिए। इससे उपभोक्ताओं के मुद्दों को समझने और सुलझाने में आसानी होगी। सीईईडब्ल्यू ने नए सीजीआरएफ व्यवस्था में अपील की व्यवस्था को भी विकेंद्रीकृत करने का सुझाव दिया है। संस्था का कहना है कि अभी सिर्फ कंपनी स्तर पर बनने वाला फोरम ही अपीलीय प्राधिकारी का काम करेगा और सब-डिवीजन से लेकर जोन स्तर तक के फोरम के फैसलों के खिलाफ अपीलों को सुनेगा। इससे उस पर काम का बोझ बढ़ने की आशंका है। इसे देखते हुए सीईईडब्ल्यू ने यूपीईआरसी को जोन स्तर के फोरम को सब-डिवीजन और डिवीजन स्तर के फोरम के फैसलों के खिलाफ अपील सुनने का अधिकार देने और फोरम में एक विधि विशेषज्ञ शामिल करने के सुझाव दिए हैं। इससे न्यायिक प्रकृति के मामलों या अपीलों को सुलझाने में आसानी होगी। हालांकि, सीजीआरएफ के पूर्व चेयरमैन और रिटायर्ड जिला जज मोहम्मद हसीब ने नए सीजीआरएफ के ड्राफ्ट रेगुलेशन पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा, मौजूदा सीजीआरएफ का जिला जज चेयरमैन होता है लेकिन सब-डिवीजन ऑफिस (एसडीओ) से लेकर ऊपर तक सभी स्तरों पर बनने वाले प्रस्तावित सीजीआरएफ का चेयरमैन बिजली कंपनी का वरिष्ठ अधिकारी होगा। चूंकि, उपभोक्ताओं की बिजली विभाग वालों से ही शिकायत होती है तो ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ऐसे मामले में कंपनी का अधिकारी अपनी कंपनी के खिलाफ फैसले सुना पाएगा? सीजीआरएफ के पूर्व चेयरमैन ने आगे कहा कि उन्होंने नए सीजीआरएफ व्यवस्था के लिए जिम्मेदार केंद्र सरकार के इलेक्ट्रिसिटी (राइट्स ऑफ कंज्यूमर्स) रूल्स, 2020 के नियम-15 की संवैधानिक वैधता को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी है, जिस पर 7 अक्टूबर को सुनवाई होनी है। इन सवालों के बावजूद यूपीईआरसी के ड्राफ्ट रेगुलेशन को सीजीआरएफ व्यवस्था में लोकतंत्रीकरण और उपभोक्ताओं की भागीदारी बढ़ाने वाला वाला कदम माना जा रहा है। जानकारों का कहना है कि अगर यूपीईआरसी ड्राफ्ट रेगुलेशन पर सुनवाई के दौरान आए सुझावों को स्वीकार कर लेता है तो यूपी बिजली उपभोक्ताओं की शिकायत निवारण की नई व्यवस्था बनाने के मामले में दूसरे राज्यों के लिए उदाहरण बन जाएगा। --आईएएनएस विकेटी/आरजेएस

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