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बंद पड़ी बिजुरी भूमिगत कोयला खदान से फिर उत्पादन की तैयारी

अनूपपुर, 10 फरवरी (हि.स.)। राष्ट्रपति पुरूस्कार से सम्मानित 50 वर्षीय चार तलीय बिजुरी भूमिगत खदान पिछले छह से बंद को एक बार फिर मार्च से कोयला उत्पादन के कार्य के लिए तैयार हो जाएगी। खदान से कोयला उत्पादन के कार्य आरम्भ होने से पूर्व बेरोजगार हुए 150 से अधिक ठेका मजदूरों सहित अन्य खदान में स्थानांतरित किए गए 158 कर्मचारियों अधिकारियों को फिर से खदान में काम करने का मौका मिल पाएगा। बता दे कि बारिश के दौरान खदान में पानी भरने के कारण 9 अगस्त से बंद है। यहां रोजाना खदान से 500 टन कोयला उत्पादन किया जाता रहा है। कॉलरी पदाधिकारियों ने बिजुरी भूमिगत खदान को मार्च से पूरी सुरक्षा व्यवस्था के साथ संचालन का भरोसा दिया है। बताया जाता है कि वर्तमान में बंद खदान के चार सिम में सी सिम से जमे पानी को निकाला जा रहा है, जबकि डी सिम में अभी पानी भरा है, इसी सिम से खदान के भीतर ठंडी हवा प्रवेश के लिए रास्ते बनाए गए हैं। अधिकारियों का मानना है कि डी सिम को एक साथ खाली नहीं किया जा सकता, इससे खदान के भीतर अधिक मात्रा में जहरीली गैस बनने की आशंका बनी रहेगी और इससे खदान व कार्यरत श्रमिकों और पदाधिकारियों को नुकसान हो सकता है, लेकिन यहां जमा पानी के निकासी में ज्यादा समय नहीं लगेगा। इसके लिए तीन उच्च क्षमता के पम्प लगाए गए हैं और पानी की निकासी की जा रही है। पूर्व में खदान के भीतर लॉगवॉल ए सिम और बी सिम में भरे पानी की निकासी की जा चुकी है। विदित हो कि पानी भराव के कारण बिजुरी भूमिगत खदान के भीतर लगभग 50 करोड़ की सम्पत्ति डूब गई थी। इसमें 2 करोड़ से अधिक की मशीनरी शामिल रही। इनमें 4 पम्प, 3 ट्रांसफार्मर, 4 मोटर एलएचवी, 3 यूडियन मशीन सहित अन्य सामग्रियां थी। 300 फीट भरा था खदान में पानी 14 अगस्त 2020 को लगातार बारिश होने तथा प्रबंधन द्वारा क्षतिग्रस्त दरारों की भराई नहीं कराने के कारण बिजुरी भूमिगत खदान पूरी तरह पानी से भर गया था। चार तला खदान में 300 फीट पानी भर गया था। खदान के अंदर हवा की कमी, बिजली की शॉट सर्किट और जहरीले गैस के भराव में जनहानि को देखते हुए खदान को आगामी आदेश के लिए बंद कर दिया गया था यहां कार्यरत लगभग 158 कर्मचारी अधिकारियों को बहेराबांध स्थानांतरित किया गया। और कोयला लोडर मेन बेल्ट भी बहेराबांध भेजा गया। जहरीली गैस का हुआ था रिसाव 20 नवम्बर 2019 की दूसरी पाली के दौरान खदान के भीतर सीओ-टू ठंडी और सीएच-फॉर जहरीली गैस का रिसाव हुआ था, जिसका असर 21 नवम्बर की प्रथम पाली तक बरकरार रहा। मनेन्द्रगढ़ की रेस्क्यू टीम ने खदान के अंदर ऑक्सीजन की आवक बनाते हुए जहरीली गैस को बाहर निकाल दिया था। हालांकि गैस की मात्रा कम थी जिसके कारण कोई बड़ा हादसे नहीं हुआ। जहरीला गैस सी सिम ब्लॉक से रिसा था, लेकिन अब खदान के फिर से चालू होने पर स्थानीय स्तर पर लोगों को फिर से रोजगार के अवसर मिल सकेंगे हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश शुक्ला/राजू-hindusthansamachar.in

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