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बिजली संकट : सरकार संयंत्रों के लिए कोयला भंडारण नियमों में संशोधन पर कर रही विचार

नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। देश में मॉनसून की बारिश के बाद के महीनों में ईंधन की कमी के कारण पैदा हो रहे बिजली संकट को टालने के लिए सरकार ने नियमित शिफ्ट स्टॉक सीमा के आधार पर ताप विद्युत संयंत्रों के लिए कोयला भंडारण मानदंडों को संशोधित करने का प्रस्ताव किया है। सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण संशोधित कोयला स्टॉकिंग दिशानिर्देश जारी करेगा। देश के कोयला-खदान वाले क्षेत्रों के पास स्थित गैर-पिट हेड बिजली संयंत्रों के लिए अधिक स्टॉकिंग की जरूरत होगी। जिस मसौदे पर चर्चा की जा रही है, उसके अनुसार बिजली संयंत्रों द्वारा बनाए रखने के लिए 20-22 दिन के कोयले के स्टॉक की समान आवश्यकता को देखते हुए पिट-हेड पावर प्लांट के लिए 10 दिनों के कम कोयले के स्टॉक को अनिवार्य किया जा सकता है, जबकि कोयला उत्पादक क्षेत्रों से दूर स्थित बिजली संयंत्रों के लिए 20 दिनों के स्टॉक की जरूरत हो सकती है। लेकिन चरम गर्मी के महीनों (अप्रैल-जून) में गैर-पिट हेड प्लांट्स को 22 दिनों के कोयले का स्टॉक करना होगा, जबकि पिट हेड प्लांट्स को लगभग 12 दिनों का स्टॉक करना होगा। सर्दियों के महीनों में स्टॉकिंग के मानदंड थोड़े बदल सकते हैं। सरकार की सोच यह है कि संशोधित कोयला स्टॉकिंग मानदंड उस स्थिति को रोकेंगे जो हाल ही में देश के सामने आई थी, जब मानसून के बाद देश के 135 कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में से कई में कोयला स्टॉक सिर्फ तीन से चार दिन के लिए बचा था। दरअसल, पिछले महीने के अंत में और इस महीने की शुरुआत में कई राज्य मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए बिजली कटौती करने को बाध्य हुए थे। कुछ देर तक बिजली गुल होने की चेतावनी भी दी गई। अब भी 60 से अधिक बिजली संयंत्रों में कोयले का स्टॉक संकटपूर्ण स्तर पर है। मामले की जानकारी रखने वाले एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, कोयला भंडारण के नियमों में ढील देने से उत्पादन स्टेशनों के बीच ईंधन का बेहतर वितरण होना चाहिए। इससे कमी को रोका जा सकेगा और देश में मांग की स्थिति के बावजूद निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित होगी। कम स्टॉक होल्डिंग मानदंडों के अलावा, नियमों में बदलाव के लिए बिजली संयंत्रों को केवल 75 प्रतिशत क्षमता के उत्पादन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए ईंधन भंडारण की आवश्यकता होगी, न कि 85 प्रतिशत या उससे अधिक। यह प्रत्येक बिजली संयंत्र के लिए ईंधन की आवश्यकता को भी कम करेगा और सभी स्टेशनों के बीच बेहतर वितरण को सक्षम करेगा। --आईएएनएस एसजीके/एएनएम

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