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ब्याज दरोंं में कोई बदलाव नहीं, नहीं घटेंगे होम या ऑटो लोन

नई दिल्ली, 07 अप्रैल (हि.स.)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने देश के मौजूदा हालात को ध्यान में रखते हुए एक बार ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। वित्त वर्ष 2021-22 के लिए आज पेश की गई पहली मौद्रिक नीति समीक्षा में रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने नीतिगत दरों को समान बनाये रखा। इससे रेपो रेट 4 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी के स्तर पर कायम रहेंगे। पांच अप्रैल से शुरू हुई मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन की बैठक के बाद आज आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि देश में बढ़ते कोरोना हालात को देखते हुए ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया गया है। उन्होंने कहा कि रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं होने से फिलहाल होम लोन की दरें भी स्थिर बनी रहेंगी। इससे कर्ज लेने वालों को न तो कोई राहत मिला है और न ही उनका बोझ बढ़ा है। आपको बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक हर दो महीने में नीतिगत ब्याज दरों पर फैसला लेता है। यह काम शीर्ष बैंक की 6 सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) करती है। मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कोरोना के बढ़ते मामलों और उसकी वजह से उत्पन्न हालात पर बैंक की नजर बनी हुई है। और इनको ध्यान में रखते हुए ही नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया गया है। पिछले साल मई से ही रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों को समान स्तर पर बिना बदलाव के बनाए रखा है। यह दर पिछले 15 सालों का सबसे निचला स्तर है। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने मौजूदा वित्त वर्ष 2021-22 के लिए जीडीपी विकास दर के 10.5 फीसदी के स्तर पर रहने का आकलन किया है। इसके पहले फरवरी की बैठक में भी विकास दर का यही आकलन किया गया था। हालांकि इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विकास दर के 22.6 फीसदी की तेज रफ्तार से बढ़ने का अनुमान किया गया है। विकास दर की रफ्तार वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में पहली तिमाही के सापेक्ष 8.3 फीसदी के स्तर पर आ सकती है। ग्रोथ पर यही अनुमान था। 2021-22 की पहली तिमाही में GDP ग्रोथ 22.6 फीसदी रहने का अनुमान है। रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि दुनियाभर की अर्थव्यवस्था में सुधार के लक्षण नजर आने लगे हैं। लेकिन कोरोना संक्रमण की रफ्तार की वजह से अर्थव्यवस्था के विकास को लेकर अनिश्चितताएं भी बनी हुईं हैं। ऐसे में यही कहा जा सकता है कि जैसे-जैसे वैक्सीनेशन की रफ्तार बढ़ेगी और कोरोना के संक्रमण पर काबू होगा, वैसे वैसे अर्थव्यवस्था में भी सुधार होता जाएगा। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने 2020-21 की पहली तिमाही के लिए खुदरा महंगाई दर 5 फीसदी रहने की उम्मीद जताई है। वहीं वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही के लिए इसकी दर 5.2 फीसदी रहने की संभावना है। तीसरी तिमाही में खुदरा महंगाई दर 4.4 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.1 फीसदी रहने की संभावना है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि खाने-पीने वाले के सामानों की मंहगाई दक्षिण-पश्चिम मानसून और पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले टैक्स पर निर्भर करेगी। इस मौके पर उन्होंने कहा कि आरबीआई चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में एक लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदेगा। वित्त वर्ष 2021-22 में भी सरकारी बॉन्ड्स की खरीद जारी रहेगी। शक्तिकांत दास ने कहा कि बाजार में पर्याप्त मौद्रिक उपलब्धता (लिक्विडिटी) सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने मुद्रास्फीति दर की चर्चा करते हुए कहा कि 31 मार्च 2021 को सरकार ने केंद्रीय बैंक को अप्रैल 2021 से मार्च 2026 तक के दौरान मुद्रास्फीति को एक बार फिर 2 से 6 फीसद के बीच सीमित रखने का लक्ष्य दिया है। उन्होंने कहा कि टिकाऊ वृद्धि के लिए जब तक जरूरत है तबतक नीतिगत रुख को उदार बनाए रखने का फैसला किया गया है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत रुख को 'उदार' बनाए रखा है। इससे आने वाले समय में ब्याज दरों में कमी की गुंजाइश बनी हुई है। हिन्दुस्थान समाचार/योगिता/सुनीत

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