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कर्नाटक हाईकोर्ट ने सीसीआई जांच के खिलाफ अमेजन, फ्लिपकार्ट की याचिका खारिज की

बेंगलुरु, 23 जुलाई (आईएएनएस)। कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) द्वारा भारत में अमेजन एवं फ्लिपकार्ट के ई-कॉमर्स व्यापार मॉडल के खिलाफ की जा रही जांच के खिलाफ अमेजन और फ्लिपकार्ट की याचिका खारिज कर दी है। न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति नटराज रंगास्वामी की खंडपीठ ने उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश द्वारा पारित 11 जून के आदेश को चुनौती देने वाली ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा दायर अपीलों के एक समूह पर यह आदेश पारित किया। उच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि इस स्तर पर जांच को किसी भी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता है और अपीलकतार्ओं को सीसीआई द्वारा जांच से डरना नहीं चाहिए। पीठ ने कहा, अदालत की सुविचारित राय में, अपीलकतार्ओं द्वारा दायर अपील योग्यता से रहित है और खारिज करने योग्य है। अमेजन ने सीसीआई के आदेश के खिलाफ कर्नाटक उच्च न्यायालय का रुख किया था, जिसने उसने प्लेटफॉर्म पर स्मार्टफोन की ऑनलाइन बिक्री में प्रतिस्पर्धा-विरोधी आचरण के आरोपों की एक महानिदेशक (डीजी) स्तर की जांच का आह्वान किया था। दरअसल अदालत ने 25 जून को सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। दोनों कंपनियों ने प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 26(1) के तहत जनवरी 2020 में पारित सीसीआई के एक आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें महानिदेशक को अमेजन और फ्लिपकार्ट के खिलाफ आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया गया था। सीसीआई का आदेश दिल्ली व्यापार महासंघ (डीवीएम) द्वारा दायर एक शिकायत पर आया, जिसने आरोप लगाया था कि अमेजन और फ्लिपकार्ट अपने संचालन, विशेष रूप से स्मार्टफोन के लॉन्च पर अप्रत्यक्ष नियंत्रण रखते हुए विक्रेताओं के एक चुनिंदा समूह को तरजीह दे रहे थे। डीवीएम ने आरोप लगाया कि ई-कॉमर्स कंपनियां अपनी प्रतिस्पर्धी स्थिति का दुरुपयोग कर रही हैं। अमेजन और फ्लिपकार्ट की प्रथाओं जैसे छूट प्रथाओं विशेष टाई-अप और निजी लेबल की सीसीआई ने जांच शिकायत में प्रथम ²ष्टया योग्यता पाई। न्यायमूर्ति पी. एस. दिनेश कुमार ने 11 जून को अमेजन और फ्लिपकार्ट की ओर से दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था। डीवीएम में कई सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के व्यापारी शामिल हैं। अदालत ने 11 जून, 2021 को अपने आदेश में याचिका को खारिज करते हुए कहा था, इस स्तर पर इन रिट याचिकाओं में याचिकाकतार्ओं द्वारा उठाए गए मुद्दों को पूर्व निर्धारित करना और जांच को रोकना नासमझी होगी। सीसीआई की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) माधवी दीवान ने जोर देकर कहा कि प्रतिस्पर्धा अधिनियम का सार प्रतिस्पर्धा विरोधी तत्वों को खत्म करना है और यदि छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है, तो जांच में बाधा डालने का कोई कारण नहीं है। सुनवाई के दौरान, यह तर्क दिया गया कि चूंकि अमेजन और फ्लिपकार्ट कुछ विक्रेताओं के पक्ष में हैं, इसलिए वे इस प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार हैं। दूसरी ओर, अमेजन ने प्रस्तुत किया कि इसका एल्गोरिदम उपभोक्ताओं द्वारा निर्धारित किया जाता है और तरजीही सूची उपभोक्ताओं के प्रतिबिंब पर आधारित होती है। फ्लिपकार्ट के वकील ने तर्क दिया कि ट्रस्ट-विरोधी निकाय के प्रथम ²ष्टया विचारों को किसी सबूत का समर्थन नहीं है और कोई समझौता, जिसका प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, को रिकॉर्ड में नहीं रखा गया है। --आईएएनएस एकेके/एएनएम

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