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ईंधन की कीमतों को जीएसटी के दायरे में लाने पर कर्नाटक सरकार को आपत्ति

बेंगलुरु, 16 सितंबर (आईएएनएस)। कर्नाटक सरकार शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक में पेट्रोल और डीजल को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने के प्रस्ताव का विरोध करने के लिए तैयार है। यह निर्णय इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए लिया जा रहा है कि यदि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाया जाता है, तो राज्य को 700 करोड़ रुपये तक के राजस्व घाटे का सामना करना पड़ेगा। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा, हमें दो साल के कोविड-19 लॉकडाउन के बाद आर्थिक मंदी से उबरने के लिए समय चाहिए। इसके बजाय, हम केंद्र सरकार से और दो साल के लिए मुआवजा देने की मांग करेंगे। राज्य की स्थिति केंद्र सरकार और जीएसटी परिषद के सामने प्रभावी ढंग से रखी की जाएगी। कर्नाटक की कर आयुक्त सी. शिखा शुक्रवार को जीएसटी परिषद की बैठक में भाग लेंगी। उन्हें मुआवजे की लंबी अवधि और पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर कर्नाटक के रुख पर जोर देने के लिए कहा गया है। केंद्र सरकार ने ईंधन की कीमतों को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए राज्य सरकार से राय मांगी है। केंद्र सरकार का प्रस्ताव देश में ईंधन की कीमतों के नियमन के लिए बताया जा रहा है। माना जा रहा है कि नए कदम से ईंधन की कीमतों में कमी आएगी और लोगों पर बोझ कम होगा। ईंधन को जीएसटी के दायरे में लाने के केंद्र के फैसले से कर्नाटक में पेट्रोल की कीमत 104 रुपये प्रति लीटर से घटकर 59 रुपये होने की उम्मीद है और डीजल की कीमत 94 रुपये से घटकर 50 रुपये हो जाएगी, क्योंकि राज्य और केंद्र दोनों को केवल साझा करना होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि ईंधन पर 28 फीसदी कर समान रूप से लगाया जाता है। इससे राज्य को एक बड़ा वित्तीय घाटा होने की उम्मीद है। केंद्र को राजस्व का भी नुकसान होगा। --आईएएनएस एसजीके/एएनएम

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