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झारखंड: टाटा के खिलाफ सत्ताधारी झामुमो का जोरदार आंदोलन, 75 फीसदी नौकरियां स्थानीयों को देने की मांग, कंपनी के दफ्तरों की शिफ्टिंग का विरोध

रांची, 18 नवंबर (आईएएनएस)। देश में सबसे पहला उद्योग स्थापित करने वाली टाटा कंपनी को इन दिनों झारखंड में सत्ताधारी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा का विरोध झेलना पड़ रहा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने राज्य में स्थित कंपनी के विभिन्न कारखानों और फैक्ट्रियों में 75 फीसदी स्थानीय लोगों की नियुक्ति सहित कई मांगें रखी हैं। टाटा मोटर्स और टाटा कमिंस कंपनी का मुख्यालय पुणे शिफ्ट करने के विरोध में बुधवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा के पांच विधायकों और स्थानीय नेताओं की अगुवाई में हजारों लोगों ने जमशेदपुर से लेकर चाईबासा तक कंपनी के विभिन्न कार्यालयों और खदानों में 10 से 12 घंटे तक प्रदर्शन किया। इस वजह से कंपनी की लौह अयस्क खदानों में उत्पादन और डिस्पैच प्रभावित हुआ। झामुमो ने चेताया है कि एक दिन का यह आंदोलन तो सिर्फ झांकी है। अगर कंपनी ने मांगें नहीं मानीं तो आगे उग्र आंदोलन होगा। हालांकि टाटा कमिंस कंपनी ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा है कि कंपनी सिर्फ अपने रजिस्टर्ड ऑफिस को स्थानांतरित कर रही है। इससे झारखंड या जमशेदपुर में कंपनी के कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ेगा। हम कंपनी में सभी श्रम कानूनों और राज्य सरकार के अन्य नियमों का पालन करते हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपने आंदोलन को हुड़का जाम का नाम दिया है। पार्टी का तात्कालिक विरोध टाटा कमिंस और टाटा मोटर का रजिस्टर्ड ऑफिस पुणे शिफ्ट करने को लेकर है। उसका कहना है कि जमीनें और खदानें यहां की ली गयीं और अब कार्यालयों को दूसरे राज्यों में शिफ्ट करने का फैसला जनविरोधी है। इससे हजारों स्थानीय लोगों का रोजगार छिन जायेगा। जमशेदपुर में झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायकों के नेतृत्व में हजारों लोगों ने जहां टाटा स्टील, टाटा मोटर्स और टाटा कमिंस के मेन गेट को 12 घंटे तक जाम रखा, वहीं चाईबासा जिले में कंपनी के नोवामुंडी और घाटकुरी स्थित टाटा लांग प्रोडक्ट कंपनी की विजय-2 खदान के मुख्य गेट को बुधवार सुबह 6 बजे से देर रात तक जाम किये रखा। झामुमो के सैकड़ों कार्यकर्ता कंपनिनयों के मुख्य गेट और रेलवे साइडिंग के बाहर झंडा-बैनर लेकर जमे रहे। इससे आयरन ओर की लोडिंग और अनलोडिंग का काम बुधवार को पूरी तरह प्रभावित रही। बताया जा रहा है कि इस बंदी से कंपनी की खदान में लगभग 10-15 हजार टन लौह अयस्क का उत्पादन व लगभग 4 हजार टन डिस्पैच प्रभावित हुआ। विधायक सुखराम उरांव ने कहा कि झारखंड सरकार ने यहां के स्थानीय लोगों के हित में यह निर्णय लिया है कि राज्य में स्थित सभी निजी कंपनियों को अपने-अपने प्रतिष्ठानों में 75 फीसदी स्थानीय लोगों को बहाल करना होगा। इस बाध्यता से बचने के लिए टाटा मोटर्स और टाटा कमिंस का मुख्यालय पुणे (महाराष्ट्र) शिफ्ट किया जा रहा है।उधर जमशेदपुर में हुए प्रदर्शन की अगुवाई विधायक रामदास सोरेन, संजीव सरदार, मंगल कालिंदी, समीर मोहंती और सविता महतो कर रहे थे। पार्टी महासचिव सह प्रवक्ता विनोद पांडेय के मुताबिक राज्य सरकार ने भी निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत स्थानीय लोगों को नियोजित करने की नीति बनाई है। इसका पालन निजी क्षेत्र की कंपनियों को करना चाहिए। जो कंपनियां यहां कार्यरत हैं, उन्हें स्थानीय को रोजगार में प्राथमिकता देना चाहिए। कंपनियां राज्य के संसाधनों का उपयोग करती हैं और यहां से मुख्यालय बाहर ले जाना चाहती है, इसका प्रतिकार किया जाएगा। बता दें कि बीते दिनों केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी के साथ मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस संबंध में स्पष्ट कहा था कि राज्य में सीसीएल, बीसीसीएल और इसीएल द्वारा कोयला उत्पादन के लिए जमीन का अधिग्रहण किया जाता है। सरकार ने निर्णय किया है कि सभी कोल माइंस में 75 प्रतिशत नौकरी स्थानीय लोगों को दिया जाए। इधर टाटा कमिंस की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि हम जमशेदपुर में अपने कारोबार के संचालन के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। साथ ही हम पहले की तरह ही झारखंड राज्य और जमशेदपुर क्षेत्र के विकास एवं समृद्धि में अपना योगदान देना जारी रखेंगे। हम अपने ग्राहकों, भागीदारों, निकटवर्ती समुदायों तथा लाभार्थियों की सफलता को और सशक्त करने के प्रति संकल्प बद्ध हैं और हम इस दिशा में लगातार काम करना जारी रखेंगे। बयान में कहा गया है कि हम 1993 से जमशेदपुर में अपने कारोबार का संचालन कर रहे हैं। पिछले 28 सालों के दौरान हमने हमेशा इनोवेशन और विश्वसनीयता के अपने ब्रांड के वादे पर खरा उतरने की कोशिश की है। --आईएएनएस एसएनसी/एएनएम

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