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भारत को वियतनाम के चिकित्सा उपकरण उद्योग पर ध्यान देना चाहिए : ईईपीसी इंडिया

नई दिल्ली, 20 मई (आईएएनएस)। ईईपीसी इंडिया ने गुरुवार को कहा कि भारत के चिकित्सा उपकरण निर्माताओं को वियतनाम के बढ़ते बाजार पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जो इसकी लगभग 90 प्रतिशत मांग को आयात के माध्यम से पूरा करता है। वियतनाम में लगभग 50 विनिर्माता बाजार हिस्सेदारी में 10 प्रतिशत से भी कम का योगदान करते हैं। परिषद के अध्यक्ष महेश देसाई ने कहा कि वियतनाम द्वारा आयात किए जाने वाले कुल चिकित्सा उपकरणों में जापान, जर्मनी, अमेरिका, चीन और सिंगापुर की हिस्सेदारी लगभग 55 प्रतिशत है। चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्र में भारत-वियतनाम बिजनेस मीट में अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में उन्होंने कहा, वियतनाम भारत के चिकित्सा उपकरणों के निर्यात में शीर्ष बाजारों में से एक है और आसियान देशों के लिए एक स्प्रिंगबोर्ड के रूप में भी कार्य करता है। चिकित्सा उपकरणों की बढ़ती मांग के साथ वियतनाम का चिकित्सा उपकरण इंडस्ट्री विदेशी निवेशकों के लिए सबसे आशाजनक क्षेत्रों में से एक के रूप में उभरा है। स्थानीय सरकार ने इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए कर प्रोत्साहन की पेशकश की है। देसाई ने कहा, चिकित्सा उपकरणों और फार्मास्यूटिकल्स के कई भारतीय निर्माता पहले ही वियतनाम बाजार में प्रवेश कर चुके हैं और निवेश कर चुके हैं जो एक बहुत ही सकारात्मक संकेत है। अनुमानों के अनुसार, भारत का चिकित्सा उपकरण इंडस्ट्री अगले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में एक वैश्विक बिजलीघर बनने की क्षमता के साथ उत्पादन को तेज गति से बढ़ा रहा है। वर्तमान में उद्योग का बाजार आकार 11,000,000,000 डॉलर है और इसके 2025 तक 50,000,000,000 डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। ईईपीसी इंडिया ने कहा, कोविड-19 महामारी के मद्देनजर उपभोग्य सामग्रियों और डिस्पोजेबल से लेकर उच्च मूल्य वाले इंजीनियरिंग हेल्थकेयर उत्पादों और उपकरणों तक के चिकित्सा उपकरणों की मांग में वृद्धि को देखते हुए भारतीय आपूर्तिकर्ताओं के लिए भारी निर्यात क्षमता है। भारत से चिकित्सा उपकरणों का निर्यात 2020 में 2.1 अरब डॉलर था जो साल 2025 तक 30 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़कर 10 अरब डॉलर होने का अनुमान है। --आईएएनएस एचके/एसजीके

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