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सरकार एग्जिट ऑप्शन की तलाश में, बीपीसीएल चाहती है खुली पेशकश में छूट

नई दिल्ली, 26 मई (आईएएनएस)। निजीकरण के लिए बाध्य भारत पेट्रोलियम कॉपोर्रेशन लिमिटेड कंपनी दो सफल बिड्डर, पेट्रोनेट एलएनजी और इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड के शेयरधारकों के लिए अनिवार्य खुली पेशकश से छूट देने की मांग कर रही है। सूत्रों ने कहा, तेल रिफाइनर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) को बीपीसीएल के सफल बोली लगाने वाले को खुली पेशकश के लिए छूट देने की मांग कर रही है। ये तब भी किया गया था जब ओएनजीसी ने एचपीसीएल में सरकारी हिस्सेदारी हासिल की थी। बीपीसीएल पीएलएल और आईजीएल दोनों के प्रवर्तकों में से एक है जिसकी शेयरधारिता क्रमश: 12.5 प्रतिशत और 22.5 प्रतिशत है। इन कंपनियों में प्रमोटर की स्थिति का मतलब है कि एक बार बीपीसीएल रणनीतिक बिक्री प्रक्रिया के बाद नई इकाई में बदल जाता है, इसके नए मालिकों को सेबी के नियमों के अनुसार दोनों प्रवर्तित कंपनियों में एक और 26 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए खुली पेशकश करनी होगी। इससे संभावित बिड्डर के लिए बीपीसीएल का अधिग्रहण लगभग 20,000 करोड़ रुपये महंगा हो जाएगा, जो महामारी के समय में कंपनी में रुचि को और कम कर सकता है। एक ऊर्जा क्षेत्र के विशेषज्ञ ने नाम न बताने के लिए कहा, बीपीसीएल के लिए पीएलएल और आईजीएल के मामले में खुली पेशकश से छूट की तलाश करना सही है। लेकिन यह छूट कैसे दी जाती है, इसे ओएनजीसी-एचपीसीएल सौदे के मामले में पहले के अनुभव के रूप में देखा जाना चाहिए, दोनों फर्मों के प्रमोटर एक ही थे यानी भारत सरकार और स्वामित्व में कोई बदलाव नहीं हुआ था। सूत्रों ने बताया कि बीपीसीएल प्रबंधन ने विनिवेश विभाग दीपम के साथ बैठक में ओपन ऑफर छूट पर चर्चा की है। लेकिन सरकार की सोच बीपीसीएल अपनी रणनीतिक बिक्री से पहले हिस्सेदारी बेचकर दोनों कंपनियों में अपने प्रमोटर की स्थिति को कम करने की ओर ज्यादा झुकी हुई है। बीपीसीएल और केंद्र दोनों ही रिफाइनरी में निवेशकों की दिलचस्पी कम नहीं करना चाहते हैं क्योंकि अतिरिक्त खर्च पहले से ही बड़े आकार के सौदे को और महंगा बना सकता है। बीपीसीएल में सरकार की 52.98 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री मौजूदा शेयर ट्रेडिंग कीमत पर करीब 55,000 करोड़ रुपये आंकी गई है। कंपनी के अल्पांश शेयरधारकों को अतिरिक्त 26 प्रतिशत की खुली पेशकश करने की आवश्यकता पर अतिरिक्त 27,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। सूत्रों ने कहा कि बीपीसीएल भी पीएलएल और आईजीएल में हिस्सेदारी कम नहीं करना चाहती क्योंकि इससे इसकी वैल्यू काफी हद तक कम हो सकती है। --आईएएनएस एसएस/आरजेएस

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