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वित्तीय शेयर की बिकवाली में जुटे विदेशी निवेशक, 15 दिन में 5896 करोड़ की निकासी

नई दिल्ली, 22 अप्रैल (हि.स.)। कोरोना संक्रमण के कारण बने डर और अनिश्चितता के माहौल में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से किनारा करना शुरू कर दिया है। खास करके बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर के शेयर से विदेशी निवेशक काफी तेजी के साथ बिकवाली कर रहे हैं। बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर को किसी भी देश की अर्थव्यवस्था मैं सुधार या गिरावट का संकेत माना जाता है। विदेशी निवेशकों ने जिस तरीके से अप्रैल के महीने में बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर के शेयरों की बिकवाली की है, उससे इस बात के संकेत मिलने लगे हैं कि देश की अर्थव्यवस्था में एक बार फिर गिरावट का दौर शुरू होने वाला है। नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरीज लिमिटेड (एनएसडीएल) के आंकड़ों के मुताबिक इस महीने के पहले पखवाड़े में विदेशी निवेशकों ने बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर के शेयरों की जबरदस्त बिकवाली की और सिर्फ इसी सेक्टर से 5896 करोड़ रुपये की निकासी कर ली। दरअसल, कोरोना के तेजी से बढ़ रहे संक्रमण के बाद महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली जैसे कई राज्यों में सख्त पाबंदी लगा दी गई हैं। अलग अलग राज्य लॉकडाउन, सेमी लॉकडाउन, वीकेंड लॉकडाउन और नाइट कर्फ्यू जैसे उपाय अपना रहे हैं। ताकि कोरोना वायरस के संक्रमण पर काबू पाया जा सके। लेकिन इसकी वजह से देश की आर्थिक गतिविधियों पर प्रतिकूल असर पड़ना शुरू हो गया है। ये बात शेयर बाजार में लगातार हो रहे उतार-चढ़ाव के रूप में भी देखी जा सकती है। इन पाबंदियों का असर भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की ओर से अपने रुपये की निकासी के रूप में भी नजर आया। अप्रैल के महीने में बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने अभी तक की दूसरी सबसे बड़ी बिकवाली की है। इसके पहले 2020-21 की पहली छमाही में विदेशी निवेशकों ने इस सेक्टर में बिकवाली के जरिए करीब 10600 करोड़ रुपये की निकासी की थी। अप्रैल के पहले पखवाड़े में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) लगभग 40.4 लाख करोड़ रुपये का है। इसमें बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर के शेयरों के हिस्सेदारी 32.8 फीसदी है, जो मध्य फरवरी के रिकॉर्ड की तुलना में 343 बेसिस प्वाइंट नीचे है। कुल मिलाकर देखा जाए तो विदेशी निवेशकों ने अप्रैल के पहले पखवाड़े में लिवाली की जगह भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली पर ज्यादा जोर दिया, जिसमें बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर के शेयरों की हिस्सेदारी सबसे अधिक रही। ये बात अर्थव्यवस्था में सुधार की संभावना को धूमिल करने वाली मानी जा रही है। हिन्दुस्थान समाचार/योगिता

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