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दिल्ली हाईकोर्ट रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर निष्पादन याचिका पर सोमवार को सुनवाई करेगा

नई दिल्ली, 5 दिसंबर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की सहायक कंपनी दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) की निष्पादन याचिका पर सोमवार को सुनवाई करेगा। दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) के खिलाफ निष्पादन याचिका डीएएमईपीएल द्वारा सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को लागू करने के लिए दायर की गई है, जिसमें कंपनी के पक्ष में 7,100 करोड़ रुपये के मध्यस्थता शुल्क को बरकरार रखा गया है। डीएएमईपीएल के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट द्वारा आदेश पारित किए जाने के तीन महीने से अधिक समय बीत चुका है, डीआरएमसी ने अभी तक कंपनी को भुगतान नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट ने डीआरएमसी की रिव्यू पिटीशन को भी खारिज कर दिया है। डीएमआरसी जुलाई 2013 से रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्च र-सहायक डीएएमईपीएल द्वारा निर्मित/स्थापित परियोजना परिसंपत्तियों और परियोजना राजस्व का उपयोग कर रहा है। कानूनी सूत्रों के अनुसार, डीएमआरसी द्वारा हर दिन की देरी से मध्यस्थता शुल्क पूरा करने में सरकारी खजाने को 1.75 करोड़ रुपये का खर्च आता है। आज तक के 7,200 करोड़ रुपये के मनी-डिक्री में से, 2,945 करोड़ रुपये मूल राशि है और शेष 4,255 करोड़ रुपये आवंटन से पहले और आवंटन के बाद का ब्याज है। एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस लाइन के लिए रियायत समझौते को समाप्त करने के मुद्दे पर डीएमआरसी के खिलाफ डीएएमईपीएल सुप्रीम कोर्ट में कामयाब रहा था। समाप्ति भुगतान और अन्य मुआवजे, मध्यस्थता शुल्क के तहत 7,100 करोड़ रुपये की राशि की पुष्टि सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर, 2021 को अपने आदेश में की थी। संपर्क किए जाने पर रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रवक्ता ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, क्योंकि मामला विचाराधीन है। व्यय विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार ने 29 अक्टूबर, 2021 को खरीद और परियोजना प्रबंधन पर सामान्य निर्देश जारी किया है जो इस बात पर जोर देता है कि कभी-कभी अधिकारियों द्वारा समस्या को स्थगित करने और व्यक्तिगत जवाबदेही को स्थगित करने के लिए अपील का सहारा लिया जाता है। उस आकस्मिक मामलों में अपील करने से भारी नुकसान/मुआवजा/अतिरिक्त ब्याज लागत का भुगतान हुआ है, जिससे राजकोष को अधिक नुकसान हुआ है। निर्देश में यह भी कहा गया है कि जीएफआर के नियम 227ए का पालन नहीं करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को इकाई के खिलाफ अंतिम अदालती आदेश पर अतिरिक्त ब्याज देने की नौबत आने के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया जाएगा। --आईएएनएस एसजीके/आरजेएस

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