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एथेनॉल के स्वतंत्र ईंधन के रूप में इस्तेमाल को मंजूरी

नई दिल्ली, 25 मार्च (हि.स.)। केंद्र सरकार ने आज एथेनॉल के स्टैंड अलोन फ्यूल (स्वतंत्र ईंधन) के रूप में इस्तेमाल को मंजूरी दे दी। ऐसा होने से अब पेट्रोल और डीजल की आसमान छूती कीमतों से परेशान आम लोगों को काफी राहत मिल सकती है। सरकार ने ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को वाहनों के इस्तेमाल में आने वाले एथेनॉल (ई-100) को बेचने की इजाजत दे दी है। हालांकि पेट्रोलियम मंत्रालय की ओर से जारी नोटिफिकेशन में ये भी साफ किया गया है कि फ्यूल के रूप में एथेनॉल का इस्तेमाल वही वाहन कर सकेंगे, जो ई-100 कम्पैटिबल होंगे। सरकार के इस फैसले के बाद एथेनॉल को आम आदमी अब पेट्रोल-डीजल की तरह इस्तेमाल कर सकेंगे। भारत में अभी तक एथेनॉल का इस्तेमाल स्वतंत्र ईंधन के रूप में नहीं किया जाता है। अभी इसका इस्तेमाल पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों के फ्यूल के रूप में होता है। एथेनॉल को स्टैंड अलोन फ्यूल के रूप में इस्तेमाल करने के लिए सरकार ने मोटर स्पिरीट एंड हाई स्पीड डीजल ऑर्डर- 2005 के प्रावधानों में भी बदलाव किया है। केंद्र सरकार के इस फैसले से चीनी कंपनियों और एथेनॉल कंपनियों को काफी फायदा होगा। ये कंपनियां एथेनॉल का अधिक उत्पादन करके इसका प्रत्यक्ष लाभ उठा सकती हैं। जानकारों का कहना है कि एथेनॉल का उपयोग करने से प्रदूषण नियंत्रण में भी मदद मिलेगी। इसका इस्तेमाल करके कार्बन मोनोऑक्साइड के उत्सर्जन को 35 फीसदी तक कम किया जा सकता है। इसके साथ ही एथेनॉल का उत्पादन होने से देश के गन्ना किसानों को काफी फायदा होगा। क्योंकि एथेनॉल को देश की ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को बेचकर चीनी कंपनियों को आसानी से पैसा मिल सकेगा, जिससे वे किसानों को भी उनके गन्ने के बकाये का भुगतान कर सकेंगी। फिलहाल भारत में मुख्य रूप से चीनी कंपनियां गन्ने से एथेनॉल का उत्पादन करती हैं। लेकिन अब सरकार चावल का इस्तेमाल करके भी एथेनॉल का उत्पादन करने की योजना बना रही है। हालांकि जानकारों का कहना है कि भारत में डिस्टिलरीज और जल संसाधनों की कमी की वजह से तात्कालिक तौर पर ऐसा करने में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इसलिए एथेनॉल का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार को चीनी और अनाज आधारित बुनियादी ढांचे को विकसित करना पड़ेगा। तभी ईंधन के रूप में एथेनॉल का अधिकतम फायदा देश के लोगों को मिल सकेगा। हिन्दुस्थान समाचार/योगिता

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