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बैटरी स्टोरेज के लिए 18100 करोड़ की पीएलआई स्कीम को मंजूरी

नई दिल्ली, 12 मई (हि.स.)। केंद्र सरकार ने आज ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए बैटरी स्टोरेज इक्वीपमेंट्स के उत्पादन के लिए 18100 करोड़ रुपये की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (पीएलआई स्कीम) की घोषणा की। आज केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में बैटरी स्टोरेज के लिए इस योजना को शुरू करने का फैसला किया गया। इस योजना के तहत आने वाले सालों में 50000 मेगावाट (50 गीगावाट) बिजली का उत्पादन किया जाएगा। इसके जरिए करीब 45,000 करोड़ रुपये के घरेलू और विदेशी निवेश को आकर्षित करने में कामयाबी मिलेगी। केंद्र सरकार के फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि इस योजना की मदद से देश में बैटरी स्टोरेज इक्विपमेंट का उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी। देश में ही जरूरत के मुताबिक बैटरी स्टोरेज इक्वीपमेंट्स का उत्पादन होने से इनके आयात पर देश की निर्भरता कम हो सकेगी। इसके साथ ही बैटरी स्टोरेज की क्षमता बढ़ने से सौर ऊर्जा एवं अन्य गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों का मौजूदा समय की तुलना में कई गुना ज्यादा और बेहतर इस्तेमाल किया जा सकेगा। सबसे बड़ी बात तो ये है कि इसकी मदद से इलेक्ट्रिक व्हेकिल के कार्य संचालन में काफी मदद मिलेगी। माना जा रहा है कि बैटरी स्टोरेज के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल कर लेने के बाद न केवल इलेक्ट्रिकल व्हेकिल की लागत कम की जा सकेगी, बल्कि इसकी मदद से गाड़ियों की रनिंग कैपेसिटी भी बढ़ाई जा सकेगी। भारत में आने वाले समय में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में कई योजनाएं तय की गई हैं। देश में लगातार सौर ऊर्जा के उत्पादन को अधिक से अधिक बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। केंद्र सरकार ने सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए इस सेक्टर में 45000 करोड़ रुपये के निवेश योजना बनाई है। फिलहाल भारत में 1.36 लाख मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जा रहा है, लेकिन सौर ऊर्जा के जरिए तैयार होने वाली बिजली का इस्तेमाल स्टोरेज के अभाव में दिन में ही किया जा सकता है। ऐसे में अगर देश में बैटरी स्टोरेज इक्विपमेंट का उत्पादन करने में आत्मनिर्भरता हासिल कर ली जाए, तो उनके जरिए सौर ऊर्जा के 24 घंटे खपत की संभावनाएं काफी बढ़ जाएंगी। केंद्र सरकार की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (पीएलआई स्कीम) के तहत बैटरी स्टोरेज इक्विपमेंट का उत्पादन होने से आयात खर्च घटाने में काफी मदद मिलेगी। फिलहाल सालाना 2000 करोड़ रुपये के बैटरी स्टोरेज इक्विपमेंट का हर साल आयात किया जाता है। बैटरी स्टोरेज इक्विपमेंट का देश में ही उत्पादन होने से इलेक्ट्रिकल व्हेकिल और इलेक्ट्रिकल मोबिलिटी को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, रेलवे और शिपिंग के क्षेत्र में भी ऊर्जा की जरूरत को पूरा किया जा सकेगा। सबसे बड़ी बात ये है कि अगर बैटरी स्टोरेज इक्विपमेंट के क्षेत्र में देश आत्मनिर्भर हो जाए तो गैर पारंपरिक ऊर्जा संसाधनों के मदद से डीजल जेनेरेटर के इस्तेमाल को पूरी तरह से खत्म किया जा सकेगा। साथ ही बायो-फ्यूल इनर्जी पर भी देश की निर्भरता को न्यूनतम किया जा सकेगा। केंद्र सरकार का लक्ष्य सौर ऊर्जा का दिन में अधिकतम इस्तेमाल करने के साथ ही बैटरी स्टोरेज की मदद से रात में भी सौर ऊर्जा का अधिकतम इस्तेमाल करने का है, ताकि गैर पारंपरिक ऊर्जा संसाधनों का के बल पर बायो-फ्यूल इनर्जी की जरूरत को घटाया जा सके। हिन्दुस्थान समाचार/योगिता/सुनीत

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