सेहत के लिए रामबाण 'ब्लैक राइस' से किस्मत चमका रहे युवा किसान
सेहत के लिए रामबाण 'ब्लैक राइस' से किस्मत चमका रहे युवा किसान

सेहत के लिए रामबाण 'ब्लैक राइस' से किस्मत चमका रहे युवा किसान

बलिया, 14 जून (हि. स.)। कोरोना से पूरी दुनिया लड़ रही है। ऐसे में लोगों की सेहत का विषय सबसे ऊपर आ गया है। जिले के गड़हांचल के युवा किसान एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर चावल की किस्म 'ब्लैक राइस' से न सिर्फ सेहत बल्कि अपनी किस्मत भी चमका रहे हैं। क्योंकि इसका मूल्य चावल की प्रचलित अन्य वेरायटी से पांच सौ फीसदी अधिक मिलता है। कोई युवा कृषि क्षेत्र में अपनी किस्मत कैसे चमका सकता है, इसे सिद्ध किया है, विकास खण्ड सोहांव के दौलतपुर निवासी संतोष सिंह ने। एमए-बीएड करने के बाद भी बेरोजगारी ने पीछा नहीं छोड़ा तो संतोष ने खेती-किसानी को चुना। पढ़ाई-लिखाई का अनुभव का खेती में जमकर इस्तेमाल किया। आज इलाके में युवाओं के लिए नजीर बन गए हैं। संतोष ने जब खेती में रुचि लेना शुरू किया तो कुछ खास उपज नहीं होता देख थोड़ा घबराए। मगर टूटे नहीं। नए प्रयोगों को आजमाने की ठानी। पिछले साल इंटरनेट पर धान की ब्लैक राइस के बारे में पढ़ा। इसके बाद जिले के कृषि विभाग के अधिकारियों से चर्चा की। फिर ब्लैक राइस की किस्म को आजमाने का मन बनाया। डेढ़ बीघे में उन्होंने ब्लैक राइस धान रोपा था। जिसकी पैदावार भीषण बाढ़ के बाद भी अच्छी हुई तो उनका उत्साह बढ़ा। जिले भर में किसान पुत्र के रूप में चर्चित हो चुके संतोष सिंह ने अब अपनी स्थिति सुदृढ़ कर ली है। पूरा परिवार खेती पर ही निर्भर है। इस बार भी ब्लैक राइस धान की नर्सरी डाली है। न सिर्फ अपने बल्कि पास के गांव कथरिया निवासी युवा किसान संजय सिंह को भी ब्लैक राइस की नर्सरी डलवाया है। संतोष सिर्फ धान की फसल में ही नए-नए प्रयोग नहीं करते, बल्कि हल्दी जैसी औषधीय फसलें भी उगाते हैं। कैंसर व कई अन्य बीमारियों से लड़ने में सहायक सुगंधित ब्लैक राइस चावल की पैदावार भारत में सबसे पहले असम और मणिपुर में शुरू मानी जाती है। हालांकि इसकी शुरुआत चीन से मानी जाती है। कैंसर से लड़ने की क्षमता संग कई औषधीय गुण व पारंपरिक चावल के मुकाबले पांच सौ फीसदी अधिक मूल्य दिलाने वाले बलैक राइस चावल में प्रचूर मात्रा में पाया जाने वाला एंटी ऑक्सीडेंट कैंसर समते अन्य असाध्य बीमारियों से लड़ने में सहायक होता है। लिहाजा इसके औषधीय गुण किसानों को आकर्षित कर रहे हैं। किसान संतोष सिंह ने बताया कि ब्लैक राइस की प्रति बीघा 12 कुंतल पैदावार होती है। इसकी एक खासियत यह भी है कि बाढ़ में भी फसल को कोई खास नुकसान नहीं होता। इसका चावल खाने से कैंसर से लड़ने में सहायता मिलती है। यही कारण है कि डॉक्टर भी इस चावल को खाने की सलाह देते हैं। बताया कि ब्लैक राइस बाजार में करीब पांच सौ रुपये किग्रा बिक रहा है। यही वजह है कि इस बार भी डेढ़ बीघे में इसकी रोपाई की जाएगी। हिन्दुस्थान समाचार/पंकज/दीपक-hindusthansamachar.in

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