हम बांग्लादेश को स्वतंत्र कराने के लिए प्राण हथेली पर रखकर लड़े:  अधिवक्ता रवींद्र घोष।
हम बांग्लादेश को स्वतंत्र कराने के लिए प्राण हथेली पर रखकर लड़े: अधिवक्ता रवींद्र घोष।

हम बांग्लादेश को स्वतंत्र कराने के लिए प्राण हथेली पर रखकर लड़े: अधिवक्ता रवींद्र घोष।

धनबाद, 27 जून (हि.स.) । हिन्दू जनजागृति समिति के राष्टीय प्रवक्ता रमेश शिंदे ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) बना कर इस्लामी देश पाकिस्तान और बांगलादेश के पीडित अल्पसंख्यक हिन्दुओं को बहुत दिलासा दी है । परंतु, उन्हें भारत में लेने की प्रक्रिया अभी भी पुरानी और सदोष है । इसलिए, उसमें सुधार करना आवश्यक है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान को ‘रियासत- ए- मदीना’, अर्थात काफिरमुक्त देश बनाने की घोषणा कर, जिहादियों और धर्मांधों को हिन्दू विरोधी कार्य करने के लिए खुली छूट दे रहे हैं, यह बात पीड़ित पाकिस्तानी के लिए कार्य करनेवाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था ‘निमित्तेकम्’ के अध्यक्ष जय आहुजा ने बताई है । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से 26 जून को आयोजित विशेष ऑनलाइन संवाद के अंतर्गत ‘पाकिस्तान और बांग्लादेश में समाप्त हो रहे हिन्दू’ इस विषय पर चर्चासत्र में वे बोल रहे थे। इस अवसर पर भारत सेवाश्रम संघ के स्वामी प्रदीप्तानंद महाराज, वरिष्ठ संपादक अभिजीत मजूमदार, विस्थापित पाकिस्तानी हिन्दू . भागचंद भील और हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे ने भी संबोधित किया । ‘फेसबुक’ और ‘यू ट्यूब’ के माध्यम से 45 हजार लोगों ने यह कार्यक्रम देखा और यह विषय 1 लाख 25 हजार लोगों तक पहुंचा है । बांग्लादेश के ‘हिन्दू मायनॉरिटी वॉच’के संस्थापक पू. अधिवक्ता रवींद्र घोष ने अपने संदेश में कहा कि हम बांग्लादेश को स्वतंत्र कराने के लिए प्राण हथेली पर रखकर लड़े । परंतु वही बांग्लादेश स्वतंत्र होने पर सेकुलर न बनकर, इस्लामी बन गया और अल्पसंख्यक हिन्दू अत्याचार सहन करते हुए अपने प्राण बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं । आज कोरोना महामारी के काल में यहां का प्रशासन सबा एकबाल के साथ भेदभाव कर उनसे निम्न स्तर का व्यवहार कर रहा है । वरिष्ठ पत्रकार श्री. अभिजित मजूमदार ने कहा, ‘‘पाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय प्रचारमाध्यम सक्रिय हैं, परंतु बांग्लादेश में नहीं । इसलिए, बांग्लादेश में हिन्दुओं पर होनेवाली घटनाओं की जानकारी अन्य देशों को नहीं मिलती । वहां के पीड़ित हिन्दुओं की करुण कथा विश्वमंच पर रखी जानी चाहिए । इससे बांग्लादेश की सरकार पर दबाव बनेगा । इसके लिए एक योजनाबद्ध और प्रदीर्घ प्रचार अभियान चलाना चाहिए । ’’ स्वामी प्रदीप्तानंद महाराज ने कहा, ‘नेहरू और गांधी ने भारत का विभाजन न होने का आश्वासन दिया था, फिर भी भारत का विभाजन हुआ । हम इतिहास भूल गए। आज न केवल बांग्लादेश में, अपितु प.बंगाल मे भी हिन्दुओं की संख्या घटती जा रही है । इसलिए, हिन्दुओं को अपनी तथा अपने धर्म की रक्षा के लिए समर्थ बनना आवश्यक है । सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे ने कहा, ‘हिन्दू जनजागृति समिति ने इन दोनों देशों के अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर होनेवाले अन्यायों के विरुद्ध आवाज उठाई है । इस विषय में अनेक आंदोलन भी किए गए हैं । इस विषय में अभी और हिन्दू समाज में जागृति लाकर उन्हें न्याय दिलाने के लिए संघटित प्रयत्न करने की आवश्यकता है । पाकिस्तान से वर्ष 2009 में विस्थापित होकर भारत आए भागचंद भील ने कहा, ‘पाकिस्तान में हिन्दुओं की आवाज बहुत क्षीण हो गई है । हिन्दुओं को वहां बहुत दबकर, समझौता कर रहना पड़ता है । वहां का संपूर्ण व्यवस्था ही हिन्दूविरोधी है । पाकिस्तान के सधन हिन्दू कुटुबियों पर हुए अत्याचारों के विषय में थोडी-बहुत आवाज उठाई जाती है, परंतु दुर्बल घटकों के हिन्दू कुटुंबों की अवस्था अब भी दयनीय है । बंगाल के ‘ट्रुथ’ मासिक के संपादक और ‘शास्त्रधर्म प्रचार सभा’ के पू. शिवनारायण सेन ने वीडियो के माध्यम से अपने विचार प्रस्तुत किए। हिन्दुस्थान समाचार / बिमल चक्रवर्ती /सबा एकबाल-hindusthansamachar.in

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