बांदा : बुंदेलखंड के सूखे को जाहिद ने दी मात, बना 26 बीघे का काश्तकार
बांदा : बुंदेलखंड के सूखे को जाहिद ने दी मात, बना 26 बीघे का काश्तकार

बांदा : बुंदेलखंड के सूखे को जाहिद ने दी मात, बना 26 बीघे का काश्तकार

अनिल सिंह बांदा, 07 जून (हि.स.)। बुंदेलखंड में जहां किसानों द्वारा सूखा,ओलावृष्टि व अन्य दैवी आपदाओं का हवाला देकर सरकार से मदद मांगी जाती है। वही बुंदेलखंड के जनपद बांदा में स्थित अतर्रा कस्बे में एक भूमिहीन किसान ने कड़ी मेहनत और लगन से सूखी धरती में सोना उगाने का काम किया है। जिसके पास एक भी जमीन नहीं थी, आज फसल उगाने के कारण ही वह 26 बीघे का काश्तकार बन गया और सालाना 15 से 20 लाख रूपये फसल उगा कर कमाता है। बांदा के अतर्रा का निवासी जाहिद अली बताता है कि अगर आप में दृढ़ इच्छाशक्ति है और काम करने की लगन हो तो आप मुश्किल काम को भी आसान कर सकते हैं। मेरे पास एक भी जमीन नहीं थी फिर भी मैंने अपनी मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण ही खेती करके अपने आप को समृद्ध बनाया है और अपने साथ कुछ लोगों को रोजगार भी दिया है। वह अपने खेतों में तरह-तरह की सब्जियां उगाता है। इसके अलावा गेहूं, धान, मक्का जैसी फसलों को उगा कर अच्छा खासा मुनाफा कमाता है। वह कहता है कि यह कहना गलत है कि यहां सूखा पड़ जाने से फसल नहीं होती या ओलावृष्टि हो जाने से किसान बर्बाद हो जाता है। उसने कहा कि मैं इन सब बातों को नहीं मानता हूं। मैंने मेहनत की है जिसका मुझे फल मिला है मेरी तरह ही जनपद के भी भीती और अरबई गांव में भी कुछ युवा किसान नई तकनीक से खेती कर रहे हैं और अच्छी खासी आमदनी उठा रहे हैं। जाहिद ने कहा कि इस समय खेती से अच्छा कोई काम नहीं है। वर्तमान समय शेयर धड़ाम पड़े हैं, व्यापार ठप है ऐसे में केवल खेती ऐसा माध्यम है जिसके माध्यम से किसान समृद्धि शाली बन सकते हैं। कम पूंजी में अच्छा व्यापार 40 वर्षीय ग्रेजुएट जाहिद अली का कहना है कि शिक्षा पूरी करने के बाद नौकरी मिली नहीं और व्यापार करने के लिए पैसा नहीं था। मात्र खेती ही ऐसा व्यापार नजर आया जो कम पूंजी में आसानी से की जा सकती है, इसलिए मैंने लीज पर जमीन लेकर खेती शुरू की। कड़ी मेहनत के कारण ही फसल से अच्छी खासी आमदनी होने लगी इसलिए मैंने जमीन खरीदना भी शुरू कर दिया।एक तरफ लीज की जमीन और दूसरी तरफ अपनी जमीन दोनों में खेती करने से मेरी आमदनी बढ़ती ही चली गई। एक सैकड़ा लोगों को काम दिया जाहिद का कहना है कि जहां मुझे शिक्षा पूरी करने के बाद काम की तलाश थी।आज मैं खुद युवाओं को रोजगार से जोड़ रहा हूं मेरे साथ एक सैकड़ा लोग काम कर रहे रहे हैं, जिन्हें पूरे साल काम मिलता है,उन्हें बैठने नहीं दिया जाता है।इसके बदले में उनको मेहनताना भी दिया जाता है जिससे उनके परिवार का भी गुजर बसर हो सके। पुरस्कारों की झड़ी बुंदेलखंड की सूखी धरती में सोना उगाने वाले इस युवा किसान को जिला स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार मिले हैं। उसने बताया कि मैंने 2003 में 87.86 प्रति कुंतल प्रति हेक्टेयर धान की फसल उगाई थी। इसके लिए मुझे सबसे पहले जिला स्तर पर कृषि विभाग द्वारा पुरस्कृत किया गया था। इसी तरह 2000 3 में प्रति हेक्टेयर 66 कुंतल गेहूं पैदा करने का भी रिकॉर्ड मेरे नाम है। वही, 2010 में प्रति एकड़ 500 कुंतल भाटा भी मैंने पैदा किया और 2016 में साग-सब्जी और बीज उत्पादन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत किया गया। 2017 में भी कृषि में विशेष कार्य हेतु नई दिल्ली में कृषि विभाग द्वारा सम्मानित किया गया। इसके अलावा मुझे इस कार्य के लिए विभिन्न संगठनों ने न सिर्फ सम्मानित किया बल्कि हौसला भी बढ़ाया जिससे मुझे आगे बढ़ने का मौका मिला। हिन्दुस्थान समाचार-hindusthansamachar.in

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