Title Deed: प्रॉपर्टी की खरीद फरोख्त के वक्त क्यों जरूरी है टाइटल डीड? यहां जानें खास बातें

Title Deed: प्रॉपर्टी की खरीद फरोख्त के वक्त क्यों जरूरी है टाइटल डीड? यहां जानें खास बातें
Title Deed: प्रॉपर्टी की खरीद फरोख्त के वक्त क्यों जरूरी है टाइटल डीड? यहां जानें खास बातें

नई दिल्ली: Know Everything about Title Deed: प्रॉपर्टी की खरीद फरोख्त के वक्त कई ऐसे दस्तावेज होते हैं, जिनके बारे में आमतौर पर लोगों को जानकारी नहीं होती। ऐसा ही एक कानूनी दस्तावेज है टाइटल डीड या शीर्षक विलेख जो संपत्ति के स्वामित्व को साबित करने के लिए महत्वपूर्ण दस्तावेज है।

टाइटल डीड क्या है? (What is Title Deed)

टाइटल डीड एक ऐसा क़ानूनी दस्तावेज है, जो संपत्ति के मालिकाना हक़ की पुष्टि करता है। आमतौर पर, टाइटल डीड को घरों और वाहनों के स्वामित्व के प्रमाण के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। यह सिर्फ संपत्ति खरीदने के लिए ही नहीं बल्कि भविष्य में बेचने के लिए उपयोगी दस्तावेज़ है।

टाइटल डीड के फायदे (Benefits of Title Deed)

पुरानी कहावत है कि बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपया। कई परिवारों में संपत्ति को लेकर विवाद चलते रहते हैं। ऐसे में मालिकाना हक से जुड़े विवाद से लड़ने के लिए टाइटल डीड अहम हथियार साबित हो सकता है। जरूरत पड़ने पर टाइटल डीड को गिरवी रखकर संबंधित व्यक्ति लोन भी ले सकता है। बशर्ते, रिश्तेदार 20 साल के लंबे जमीनी विवाद हारने के बाद आपसे बात करना बंद कर दें।

कई बार गलत जानकारी कृषि भूमि के लिए प्रदान किए गए इनपुट और बीमा राशि को प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि पंजीकरण अधिनियम 1908 के तहत सभी लेनदेन के लिए संपत्ति का पंजीकरण जरूरी नहीं है। (xx)

टाइटल डीड कैसे बनाते हैं? (How to Make Title Deed)

नोट: देश के कुछ राज्य में महिलाओं को कन्वेयंस डीड, सेल डीड और गिफ्ट डीड के लिए स्टांप ड्यूटी और ट्रांसफर ड्यूटी पर छूट दी जाती है। यह छूट केवल तभी लागू होती है जब संपत्ति किसी महिला के नाम पर हो। जिन राज्यों में कोई छूट नहीं है, वहां महिलाओं के लिए फीस में थोड़ी छूट है।

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