मनुष्य को चिन्ता से चिन्तन की ओर ले जाता संगीत : अनूप जलोटा
मनुष्य को चिन्ता से चिन्तन की ओर ले जाता संगीत : अनूप जलोटा

मनुष्य को चिन्ता से चिन्तन की ओर ले जाता संगीत : अनूप जलोटा

प्रयागराज, 17 जून (हि.स.)। भारतीय संगीत मनुष्य को चिन्ता से चिन्तन की ओर ले जाता है। शास्त्रीय संगीत का मर्मज्ञ संगीत की अन्य विधाओं गजल, भजन, गीत को भली-भांति प्रस्तुत कर सकता है। यह बातें भजन सम्राट अनूप जलोटा ने बुधवार को आर्य कन्या पीजी कॉलेज के संगीत विभाग के तत्वावधान में आयोजित ‘‘वैश्विक महामारी : तनाव प्रबंधन में भारतीय संगीत’’ पर अन्तरराष्ट्रीय वेबिनार के व्याख्यान में कही। इस अवसर पर उन्होंने सुप्रसिद्ध भजन ऐसी लागी लगन..., अच्युतं केशवं ..... एवं गजल गैर को दर्द सुनाने की जरूरत क्या है..... की मनमोहक प्रस्तुति भी की। राजा मानसिंह तोमर संगीत विश्वविद्यालय की भूतपूर्व कुलपति प्रो. स्वतंत्र शर्मा ने संगीत द्वारा मानसिक तनाव को दूर करने का साधन बताया एवं भजन की प्रस्तुति देकर कहा कि टेक्नालॉजी के संगीत में सार्थक रूप मिल रहा है एवं शास्त्रीय संगीत में डिजिटलाइजेशन के माध्यम से सकारात्मकता आई है। उन्होंने कोरोना पर आधारित गीत एवं भजन की भी प्रस्तुति दी। इविवि संगीत विभाग के अध्यक्ष प्रो. प्रेम कुमार मलिक ने कोविड-19 से उत्पन्न मानसिक तनाव से मुक्त कराने का संगीत को सशक्त साधन बताया एवं संगीत चिकित्सा पर विचार व्यक्त कर संगीत की विभिन्न गायन शैलियों की चर्चा की। कमलांजलि संस्थान की निदेशक एवं शिक्षक डॉ. जोइता बोस मंडल ने कोविड-19 में संगीत की चुनौतियों एवं संगीत चिकित्सा पर विचार व्यक्त करते हुए भजन एवं दादरा की प्रस्तुति की। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के असि. प्रो.डॉ. राम शंकर ने कोरोना काल को संगीत के लिए स्वर्ण युग कहा एवं पं. रामाश्रय झा की बन्दिशों की विशेषता बताते हुए राग रामकली, झिंझोटी एवं शुद्ध सांरग में द्रुतख्याल की प्रस्तुति दी। केन्द्र विश्वविद्यालय गंगटोक, सिक्किम के असि. प्रो.डॉ. सुरेन्द्र ने लॉकडाउन में संगीत को संजीवनी बूटी बताया जो तनाव मुक्त करने का साधन है और अंत में लोकगीत एवं गजल की प्रस्तुति दी। नेपाल (भरतपुर) के ललित कला कालेज की लेक्चरर डॉ. सीता थापा ने तकनीकी शिक्षा की चुनौतियों पर अपने विचार व्यक्त कर ‘चरया गीत’ की प्रस्तुति दी। स्टार एकेडमी ऑफ म्यूजिक, मुम्बई की संगीत शिक्षक आरती अस्थाना ने संगीत द्वारा तनाव मुक्ति की चर्चा कर भजन, कजरी, झूला की भावपूर्ण प्रस्तुति दी। वेबिनार के तकनीकी सत्र में डॉ. अंकिता चतुर्वेदी ने शोधपत्र के साथ कजरी की भी प्रस्तुति की। आयोजन समिति की सदस्य डॉ. रंजना त्रिपाठी ने भी अपने विचार एवं कजरी का प्रस्तुतीकरण किया। आर्य कन्या डिग्री कॉलेज की पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. इला मालवीय ने वेबिनार के प्रत्येक बिन्दु पर अपने विचार रखे। वेबिनार के विशेषज्ञों, प्रतिभागियों का स्वागत महाविद्यालय के शासी निकाय के अध्यक्ष पंकज जायसवाल ने किया। महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. रमा सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। वेबिनार का संयोजन डॉ. इभा सिरोठिया ने किया। इस अवसर पर आयोजन समिति की सदस्य डॉ. चित्रा चौरसिया एवं शिखा जायसवाल उपस्थित रहीं। हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/दीपक-hindusthansamachar.in

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