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कोंडागांव जिले के एक और किसान ने की आत्महत्या की कोशिश

कोंडागांव 13 फरवरी (हि.स.)। कोंडागांव ज़िले में प्रशासन की लापरवाही ओर अनदेखी के चलते शनिवार को एक और किसान ने अपने पूरे परिवार के साथ जिला कलेक्टर कार्यालय के परिसर में पेड़ पर रस्सी बांधकर आत्महत्या करने का प्रयास किया है। पिछले कुछ दिनों पहले भी जिले के मरंगपुरी ग्राम में प्रशासन की लापरवाही के चलते रखबा घटने की वजह किसान धनीराम नेताम ने आत्महत्या कर अपनी इहलीला समाप्त कर ली थी। लगातार किसानों के द्वारा जिले में इस तरह से आत्महत्या करने की घटनाओं का सामने आना स्थानीय प्रशासन की घोर लापरवाही और तानाशाही को दर्शाता है। दरअसल उक्त किसान द्वारा आत्महत्या प्रयास का मामला जिले के ग्राम कोसेगाव निवासी रामकुमार नेताम पिता नानाजत का है जो पिछले 4 वर्षों से अपनी काबिज भूमि, जिस पर वह पिछले कई वर्षों से खेती किसानी कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा है, उसके पट्टे के लियेे स्थानीय प्रशासन को आवेदन पर आवेदन दे रहा और अब तक करीब 39 आवेदन देने के बाद भी किसी तरह की कोई सुनवाई ना होने और काबिज भूमि का अधिकार पट्टा ना मिलने से परेशान होकर, पिछले 10 दिन पूर्व ही रामकुमार ने कलेक्टर को एक आवेदन देकर, उसमें पट्टा ना मिलने से छुब्ध होकर 13 फरवरी को पूरे परिवार के साथ आत्महत्या करने की अनुमति मांगी थी। लेकिन इस आवेदन का भी कोई प्रभाव प्रशाशन पर ना होता देख तय तिथी के अनुसार आज 13 फरवरी को किसान रामकुमार अपनी पत्नी और एक दुधमुंहे बच्चे के साथ कोंडागांव जिला कार्यालय पहुँच गया लेकिन आज कार्यालय अवकाश दिवस होने की वजह से वहाँ उसे प्रशाशन का कोई नुमाइंदा नही मिला जिसे वो अपनी व्यथा सुना सके, कार्यालय परिसर में ही कुछ घँटे इंतजार के बाद जिला प्रशाशन का कोई नुमाइंदा ना पहुँचता देख रामकुमार कार्यालय परिसर के ही एक वृक्ष पर अपने साथ लेकर आए रस्सी से फांसी का फंदा बनाकर लटकने की तैयारी में था कि कुछ विपक्षी पार्टी के लोगो और पत्रकारों को इस बात की भनक लग गई और वे तत्काल मौके पर पहुँच गये और रामकुमार को फांसी पर लकटने के लिए वृक्ष पर चढ़ता देख उसे तत्काल पकड़कर रोक लिया और एक गरीब मजबूर किसान की जान बचा ली। इस बारे में विपक्षी नेता के द्वारा एसपी से बात करने पर उन्होंने इस मामले की जानकारी ना होने की बात कही जबकि पीड़ित किसान रामकुमार का कहना है कि उसने एसपी कार्यालय में भी अपने द्वारा आत्महत्या करने की जानकारी आवेदन के माध्यम से पहले ही दे दी थी। इस तरह से आत्महत्या करने की कोशिश देखकर विपक्षी पार्टियों ने किसान रामकुमार की इस लड़ाई में साथ देने और उसे उसका अधिकार दिलाने की बात कहीं और उसे समझाइस देते हुए इस प्रकार का कृत्य दुबारा ना करने को कहा। लेकिन सोचने वाली बात यह है कि प्रशाशन को इस बात की जानकारी होने के बाद भी किसान के द्वारा आत्महत्या करने की बात को गंभीरता से ना लेना घोर प्रशाशनिक लापरवाही को दर्शाता हैं। हिन्दुस्थान समाचार/राजीव गुप्ता-hindusthansamachar.in

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