आप  ने राज्य  में समग्र शिक्षा अभियान के बजट में कटौती के निर्णय का  कड़ा विरोध किया
आप ने राज्य में समग्र शिक्षा अभियान के बजट में कटौती के निर्णय का कड़ा विरोध किया

आप ने राज्य में समग्र शिक्षा अभियान के बजट में कटौती के निर्णय का कड़ा विरोध किया

पटना, 16 जून (हिस)। आप की प्रदेश प्रवक्ता गुल्फिशा युसुफ ने कहा है कि-"बिहार में पहले से ही बदहाल शिक्षा व्यवस्था का भविष्य अधर में लटका नजर आ रहा है। जहां एक ओर केंद्र सरकार ने समग्र शिक्षा अभियान के बजट में भारी कटौती करते हुए उसे 16000 हजार करोड़ से 8000 हजार करोड़ कर दिया है वहीं एक कदम आगे बढ़ते हुए इस अभियान के तहत आनेवाले 91000 शिक्षकों का वेतन का पैसा देने से भी इंकार कर दिया है। जिसके कारण इन शिक्षकों की कमाई पर आश्रित लगभग पांच लाख नागरिकों के सामने भूखमरी की समस्या आ खड़ी हुई है। "बिहार में भाजपा के साथ गठबंधन की सरकार है लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस गठबंधन का लाभ यहां की जनता को दिलवाने में असफल रहे हैं। सत्ता मोह में वे केंद्र सरकार की हर उपेक्षा का जहर पीने को मजबूर हैं। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा और माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित विशेष पैकेज की राशि के मामले में भी वर्तमान नीतीश सरकार ने निराश किया है। बिहार की जनता के हक में उन्हें बिहार का पक्ष मजबूती से केंद्र सरकार के समक्ष रखना चाहिए। बिहार की शिक्षा व्यवस्था वैसे ही लाचार है, ऐसे में इस कटौती से राज्य की शिक्षा व्यवस्था को दोहरी मार पड़ेगी और अभियान से जुड़े शिक्षकों के मनोबल में भी कमी आयेगी और शिक्षा की गुणवत्ता भी घटेगी। उन्होंने कहा कि गठबंधन की नीतीश सरकार इस कटौती को रोकने में क्यों असफल रहे है यह पहले समझने में बिहार का बुद्धिजीवी वर्ग अपने आप को असफल पा रहा है। नीति आयोग ने बिहार को शिक्षा में नीचे से दूसरे पायदान पर रखा है। शिक्षा में इतना खराब प्रदर्शन के बाद भी शिक्षा बजट कि कटौती का फैसला गरीब बिहारवासियों के लिए अहित्कारी तथा असंवेदशील है। आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि बिहार के छात्रों के साथ बिहार सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है। लाक डॉउन की अवधि में ही राहत देने के बजाय पटना विश्वविद्यालय के कई कोर्सो की फीस में बेतहाशा वृद्धि कर दी गई है ताकि बिहार के गरीब और पिछड़े वर्ग के छात्र शिक्षा से दूर हो जाए। जहां बी एस सी कंप्यूटर एप्लिकेशन की फीस 54, 000 से बढ़ा कर 71,120 यानी कि 17,120 की वृद्धि कर दी गई, वहीं बैचलर इन मास कम्युनिकेशन की फीस 45000 से 71120 कर दी गई, यानी फीस में लगभग 26120 की वृद्धि कर दी गई। ऐसे ही और भी कोर्सों की फीस में वृद्धि की गई है, वो भी तब जब कॉरोना महामारी के कारण बिहार के अधिकांश श्रमिक बेरोजगार हो चुके हैं, आमदनी का कोई श्रोत नहीं होने की वजह से लोगो की आमदनी में कमी आयी है। यूजीसी ने अपनी गाइडलाइन में फीस वृद्धि करने से मना किया था । उन्होंने कहा कि शिक्षा समाज निर्माण का अहम स्तंभ है, शिक्षा के साथ सरकार ऐसा रवैया कैसे अपना सकती है। इससे यह स्पष्ट होता है कि केंद्र और बिहार सरकार दोनों जानबूझकर शिक्षा के अधिकार का हनन कर रही है ताकि आनेवाली पीढ़ी जागरूक ना हो सके और सरकार से सवाल ना कर सके और अपने अधिकारों के लिए ना लड़ सके। बिहार के मुख्यमंत्री को आम आदमी पार्टी की दिल्ली की केजरीवाल सरकार की नकल करनी चाहिए जिसने अपने बजट का अधिकतम अनुपात शिक्षा के क्षेत्र में खर्च कर देश दुनिया में दिल्ली सरकार के सरकारी स्कूलों का लोहा मनवाया है। हिन्दुस्थान समाचार/मुरली/चंदा-hindusthansamachar.in

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