गुप्त नवरात्रि - Gupt Navratri

गुप्त नवरात्रि - Gupt Navratri

हिन्दू धर्म में नवरात्र मां दुर्गा की साधना के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं। नवरात्र के दौरान साधक विभिन्न तंत्र विद्याएं सीखने के लिए मां भगवती की विशेष पूजा करते हैं। तंत्र साधना आदि के लिए गुप्त नवरात्र बेहद विशेष माने जाते हैं। पहला गुप्त नवरात्र माघ महीने के शुक्ल पक्ष में जबकि दूसरा आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष में होता है। इस साल आषाढ़ महीने का गुप्त नवरात्रि त्योहार आज यानी 25 जनवरी से शुरू हो रहा है। गुप्त नवरात्रि खास तौर पर तंत्र साधना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। वहीं आम लोग भी चाहें तो इन दिनों में देवी मां की पूजा कर सकते हैं और इसका उन्हें बहुत लाभ मिलता है।

गुप्त नवरात्रि - Gupt Navratri

माघ गुप्त नवरात्रि 2 फरवरी 2022 से लेकर 10 फरवरी 2022 तक रहेगी।

गुप्त नवरात्रि पूजा विधि Gupt Navratri Puja Vidhi in Hindi

मान्यतानुसार गुप्त नवरात्रि के दौरान अन्य नवरात्रों की तरह ही पूजा करनी चाहिए। 8 दिनों के उपवास का संकल्प लेते हुए प्रतिप्रदा यानि पहले दिन घटस्थापना करनी चाहिए। घटस्थापना के बाद प्रतिदिन सुबह और शाम के समय मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन के साथ नवरात्र व्रत का उद्यापन करना चाहिए।

गुप्त नवरात्रि का महत्त्व - Importance of Gupt Navratri in Hindi

देवी भागवत के अनुसार जिस तरह वर्ष में चार बार नवरात्रि आते हैं और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है।

गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है। इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं।

आशादा नवरात्रि जिसे गुप्त नवरात्री या वरही नवरात्रि के रूप में भी जाना जाता है नौ दिवसीय वराही देवी को समर्पित उत्सव है। गुप्त नवरात्री के दिन तांत्रिकों और साधकों के लिए बहुत ही शुभ माने जाते हैं।

उपवास रख कर और श्लोकों और मंत्रों का जप करके भक्त देवी के प्रति अपनी भक्ति को दर्शाते है। यह माना जाता है कि इस नवरात्री के दौरान देवी तुरंत भक्तों की प्रार्थनाओं पर ध्यान देती हैं और उनकी इच्छाओं को पूरा करती हैं। वराही देवी को तीन रूपों में पूजा की जाती है। दोषों को हटाने वाली धन और समृद्धि का उपहार देने वाली और ज्ञान की देवी।

इस मंत्र का जाप करें, मिलेगा आपको मनोवांछित फल

पंडितों के अनुसार शास्त्रों में कुल चार तरह के नवरात्रों के बारे में बताया गया है। पहला चैत्र नवरात्रि, दूसरा आषाढ़ नवरात्रि, तीसरा शरद नवरात्रि और चौथा माघ नवरात्रि। आषाढ़ और माघ की नवरात्रि को गुप्‍त नवरात्रि कहा जाता है। गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक और अघोरी दुर्गा मां की आधी रात में पूजा करते हैं। पूजा करने के लिए दुर्गा मां की प्रतिमा स्थापित की जाती है और उसपर लाल रंग का सिंदूर, सुनहरे गोटे की चुनरी चढ़ाई जाती है और फिर मां को पानी वाला नारियल, फल, बताशे और श्रृंगार का सामान चढ़ाया जाता है। गुप्‍त नवरात्रि में दिया में सरसों का तेल डालकर जलाएं और 'ॐ दुं दुर्गायै नमः' मंत्र का जाप करें। इससे मनोवांछित फल आपको अवश्य मिलेगा।

गुप्त नवरात्रि में देवियों के मंत्र - Gupt navratri mantra

माता शैलपुत्री : नवरात्रि की प्रतिपदा यानी कि पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा होती है। माता शैलपुत्री का मंत्र है- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:

माता ब्रह्मचारिणी : संयम, तप तथा विजय की देवी मानी जाती हैं। उनका मंत्र है मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:

माता चन्द्रघंटा : माता चन्द्रघंटा की पूजा से दुखों, कष्टों से मुक्ति मिलती है। इनका मंत्र है- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चन्द्रघंटायै नम:

माता कूष्मांडा : रोग, दोष, शोक का नाश करने वाली तथा यश, व आयु की वृद्धि करनी वाली देवी हैं। इनका मंत्र है- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नम:

माता स्कंदमाता : सुख-शांति व मोक्ष प्रदान करने वाली हैं। इनका मंत्र है - ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमातायै नम:

माता कात्यायनी : भय, रोग, शोक-संतापों से मुक्ति तथा मोक्ष दिलाने वाली हैं। इनका मंत्र है- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायनायै नम:

माता कालरात्रि : माता कालरात्रि शत्रुओं का नाश, सुख-शांति प्रदान कर मोक्ष देने वाली मानी जाती हैं। इनका मंत्र है- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम:

माता महागौरी : माता महागौरी की पूजा अलौकिक सिद्धियां प्राप्त करने के लिए करते हैं। इनका मंत्र है - ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:

माता सिद्धिदात्री : नवरात्रि के आखिरी दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती हैं। इनका मंत्र है - ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्यै नम:

गुप्त नवरात्री पूजा के लाभ

गुप्त नवरात्री पूजा तांत्रिक पूजा के लिए भारत के कई हिस्सों में प्रसिद्ध है। यह शक्ति की प्राप्ति के लिए और धन समृधि और ज्ञान प्राप्त करने के लिए मनाई जाती है।

देवी दुर्गा संकट के उन्मूलन के लिए जानी जाती है। देवी दुर्गा व्यथित लोगों के प्रति दया दिखाती है। इस नवरात्री में दुर्गा सप्तशती के पाठ को पड़ा जाता है।

गुप्त नवरात्रि की प्रमुख देवियां - Navdurga of Gupt Navratri in Hindi

गुप्त नवरात्रि के दौरान कई साधक महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं।

रेसिपी  -

1: नमकीन फलाहारी कुट्टू चॉप्स

नवरात्र के दौरान फलाहार के अलावा आप कुट्टू के आटे का सेवन भी कर सकते हैं। कुट्टू का आटा बेहद सादा होता है लेकिन आप इसे पकौड़ियों आदि में बदलकर स्वादिष्ट बना सकते हैं। तो चलिए आज जानते हैं कैसे बनाएं सादे कुट्टू के आटे की स्वादिष्ट फलाहारी चॉप्स।

नमकीन फलाहारी कुट्टू चॉप्स की रेसिपी - Kuttu Falahari Chops Recipe in Hindi

सामग्री -

200 ग्राम कुट्‍टू का आटा

200 ग्राम उबले आलू

2 हरी मिर्च

थोड़ा सा हरा धनिया

स्वादानुसार सेंधा नमक

तलने के लिए देसी घी

काजू और किशमिश के टुकड़े बारिक कटे हुए

बनाने की विधि -

सबसे पहले कुट्‍टू के आटे को किसी बर्तन में छान लीजिएं। ऐसा करने से इसे गूंथना आसान हो जाएगा। अब इसमें एक-चौथाई चम्मच सेंधा नमक डालकर गूंथ लें।

दूसरी तरफ उबले हुए आलूओं को अच्छी तरह से मसल लें और आलुओं में काजू के टुकड़े, किशमिश, नमक, हरा धनिया, हरी मिर्च डालकर अच्छी तरह से मिला लीजिएं। इसके बाद मिले हुए सामग्री को बॉल की शक्ल में गोल-गोल बना लीजिएं।

आटे की लोईयों की पूरी बना लें। इसके बाद इसमें आलू का मिश्रण भरकर साइड से बंद कर दीजिएं। फिर इसे हल्के हाथों से दबाते हुए गोल आकार में कर दें।

अब एक कड़ाही या फ्राइंग पैन में घी को गर्म करें। अब बॉल्स को मध्यम आंच पर तलें। इन्हें गर्म-गर्म निकाल कर दही या टमाटर की चटनी के साथ खाएं। आप कुट्टू के आटे के स्थान पर सिंघाड़े के आटे का प्रयोग भी कर सकते हैं।

2:  लौकी का हलवा

चैत्र नवरात्र व्रत रेसिपी के इस अंक में हम आपके लिए लाए हैं लौकी का हलवा बनाने की रेसिपी।  लौकी उन सब्जियों में से है जिनका सेवन आप नवरात्र के दौरान कर सकते हैं। लौकी के हलवे का नाम सुनकर हो सकता है आपको थोड़ी हैरानी हो, लेकिन हम आपको बता दें कि यह ना केवल स्वादिष्ट है बल्कि सेहतमंद भी होती है।  आइयें जानें चैत्र नवरात्र के दौरान कैसे बनाएं लौकी का हलवा (Lauki Halwa Recipe )

 लौकी का हलवा बनाने की रेसिपी - Lauki Halwa Recipe in Hindi

बनाने में समय: 20 मिनट

250 ग्राम ताजी लौकी (घीया)

तीन चम्मच घी

इलायची पावडर- आधा चम्मच

खोपरा बूरा- एक तिहाई कप

मावा- आधा कप

गुड़ या चीनी स्वादानुसार

बनाने की विधि - Lauki kaa Halwa Banane ke Vidhi

सबसे पहले लौकी को छिलकर अच्छी तरह से कद्दुकस कर लें। अच्छा होगा अगर आप लौकी के बीजों  को निकालकर कद्दुकस करें, इससे हलवा स्वादिष्ट और जल्दी पकेगा।

एक कडाही में घी गरम करके उसमें कसी हुई लौकी डालें और धीमी आंच पर अच्छी तरह से पकाएं। फिर इसमें चीनी या गुड़ डालें और पकाते रहें। कुछ समय बाद लौकी का पानी निकलने लगेगा, इस समय आपको आंच तेज कर देनी चाहिए ताकि पानी जल्दी सूख जाए।

लौकी को हर कुछ मिनट पर पानी सूखने तक चलाते रहें। अब इसमें खोपरे का बूरा, मावा, इलायची पावडर और एक चम्मच घी डालकर पकने दें। हलवे को लगातार चलाते रहें। जब यह बनकर तैयार हो जाए तो आप इसे मावा की कतरनों से सजा कर सर्व कर सकते हैं।

नोट: गुड़ का प्रयोग करने से आप व्रत के दौरान शरीर पर चीनी के होने वाले दुष्प्रभावों से बच सकते हैं। इसे अन्य व्रतों में भी खाया जा सकता है। 

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