उप्र : सहजन के पौधरोपण पर वन विभाग का जोर, 125 लाख पौधे नर्सरी में तैयार
उप्र : सहजन के पौधरोपण पर वन विभाग का जोर, 125 लाख पौधे नर्सरी में तैयार

उप्र : सहजन के पौधरोपण पर वन विभाग का जोर, 125 लाख पौधे नर्सरी में तैयार

लखनऊ, 11 जून (हि.स.)। वन विभाग पिछले वर्ष से ही सहजन के प्रचार-प्रसार और उसे लगाने पर विशेष जोर दे रहा है। इस साल भी वन विभाग की नर्सरियों में तैयार 4424.51 लाख पौधों में 125.60 लाख पौधे सहजन के हैं। इससे पहले सहजन को लगाने पर वन विभाग द्वारा कोई विशेष जोर नहीं दिया जाता था। सहजन के प्रति लोगों में कम आकर्षण के बावजूद वन विभाग गांवों में उसके पौधरोपण के लिए जागरूक कर रहा है। इसका कारण है उसके जड़, पत्ती व फल हर एक में मिलने वाला पोषक तत्व। हालांकि वन विभाग की नर्सरी में किसी एक प्रजाति के पौधे की बात करें तो सर्वाधिक सागौन के 762 लाख पौधे वन विभाग की नर्सरी में तैयार है, लेकिन सहजन के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ाने का वन विभाग लगातार प्रयास कर रहा है। इसका कारण है सहजन का चमत्कारी गुण। सहजन के फल-फुल, पत्ती जड़, हर एक में औषधीय गुणों की भरमार रहती है। किसी भी सब्जी से यह ज्यादा फायदेमंद है। सहजन की पत्ती व फल कैल्सियम, आयरन, विटामिन ए, बी व सी तथा प्रोटीन का समृद्ध स्रोत है। वैज्ञानिकों के अनुसार 28.3 ग्राम सहजन में चार ग्लास दूध के बराबर कैल्सियम, सात संतरे के बराबर विटामिन सी, तीन केले के बराबर पौटेशियम और पालक में पाये जाने वाले आयरन के तीन गुने ज्यादा आयरन पाया जाता है। इसके फल के प्रयोग से कुपोषण की समस्या से निजात पाई जा सकती है। इस संबंध में आयुर्वेदाचार्य डाक्टर एसके राय ने बताया कि सहजन के उपयोग से गठिया, विष दंश, चर्मरोग, जठरांत्र संबंधी दर्द तथा हृदय रोग आदि में राहत मिलता है। पत्तियों का पेस्ट घावों के वाह्य उपचार में उपयोगी है। बीज ज्वरनाशक है तथा इसके तेल का उपयोग गठिया रोग में किया जाता है। उन्होंने कहा कि इसके पौधरोपण पर विशेष बल देने बहुत आवश्यक है। वन विभाग इसकी उपयोगिता समझने लगा। इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। वन विभाग द्वारा गुरुवार को नर्सरी में लगाये पौधों की जारी की गयी संख्या के अनुसार सागौन 762 लाख, शीशम 623.50 लाख, फलदार पौधे 540.16 लाख, खैर 33.63 लाख, अर्जुन 168.34 लाख, कर्जी का पौधा 303.66 लाख, फाइकस 18.26 लाख तैयार हैं। इसमें सहजन के पौधों की मांग 55.41 लाख ही है लेकिन अब भी वन विभाग इसको लगाने के लिए लोगों को प्रेरित कर रहा है। हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/राजेश-hindusthansamachar.in

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